अलविदा 2025 — स्मृतियों का कोलाज और सुनहरे कल की आहट !


    

​1. उपलब्धियों का शिखर: विज्ञान और तकनीक का दम

​साल 2025 ने साबित कर दिया कि सीमाएँ केवल नक्शों पर खींची जा सकती हैं, संभावनाओं पर नहीं।

​अंतरिक्ष में भारत का दबदबा: इसरो (ISRO) के मिशनों ने इस साल नई सफलताएँ अर्जित कीं। विशेष रूप से गगनयान के मानव रहित परीक्षणों और चंद्रमा के अनछुए पहलुओं की खोज ने भारत को अंतरिक्ष विज्ञान में एक 'ग्लोबल पावरहाउस' के रूप में स्थापित किया।

​तकनीकी आत्मनिर्भरता: भारत ने इस साल 'सेमीकंडक्टर हब' बनने की दिशा में ऐतिहासिक छलांग लगाई। स्वदेशी चिप निर्माण और AI के नैतिक उपयोग में भारतीय नवाचारों ने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा।

​2. महत्वपूर्ण घटनाएँ: वैश्विक और राष्ट्रीय बदलाव

​पर्यावरण की चुनौती और समाधान: COP सम्मेलनों के बीच 2025 में रिन्यूएबल एनर्जी की ओर बढ़ते कदमों ने उम्मीद जगाई। भारत का 'ग्रीन हाइड्रोजन मिशन' अब कागजों से निकलकर सड़कों और उद्योगों में दिखने लगा है।

​खेल जगत की चमक: भारतीय युवाओं ने वैश्विक मंचों पर पदकों की झड़ी लगाकर यह बता दिया कि भारत अब एक 'मल्टी-स्पोर्ट्स नेशन' बन चुका है।

​3. उन महान हस्तियों को नमन: एक रिक्तता जो प्रेरणा बनेगी

​हर साल की तरह, 2025 भी हमें कुछ गहरे घाव दे गया। कला, साहित्य और समाज सेवा के आकाश से कुछ ऐसे सितारे टूटे जिन्होंने दशकों तक हमारा मार्गदर्शन किया था।

​अभिनय का एक अध्याय समाप्त: इस वर्ष हमने सिनेमा के उन दिग्गज कलाकारों को खोया, जिन्होंने समानांतर और व्यावसायिक सिनेमा के बीच पुल का काम किया। उनकी कमी स्क्रीन पर हमेशा खलेगी, लेकिन उनके निभाए किरदार आने वाली पीढ़ियों के लिए अभिनय की पाठशाला रहेंगे।

​साहित्य और स्वर की क्षति: साहित्य जगत के उन पुरोधाओं का जाना व्यथित कर गया, जिनकी लेखनी ने सत्ता से सवाल पूछे और समाज को आईना दिखाया। संगीत की दुनिया ने भी उन सुरों को खोया जिन्होंने शास्त्रीय परंपरा को आधुनिक कानों तक पहुँचाया था।

​विचारधारा के स्तंभ: राजनीति और समाज सुधार के क्षेत्र से कुछ ऐसी शख्सियतों का विदा होना खल गया, जिन्होंने 'लोकतंत्र की गरिमा' को हमेशा सर्वोपरि रखा। उनका जाना केवल एक व्यक्ति का जाना नहीं, बल्कि एक अनुभव संपन्न युग का अंत है।

​"महान लोग कभी मरते नहीं, वे केवल अपने भौतिक स्वरूप को त्यागकर अपने विचारों और कृतियों के रूप में हमारे बीच जीवित रहते हैं।"

​विदाई और नए संकल्प

​2025 जाते-जाते हमें सिखा गया कि परिवर्तन ही शाश्वत है। हमने कुछ मार्गदर्शकों को खोया, तो कुछ नए नेतृत्व उभरते भी देखे। यह साल हमें अपनी जड़ों से जुड़े रहने और बादलों के पार देखने का हौसला देकर जा रहा है।

​अलविदा 2025! तुम्हारी खट्टी-मीठी यादें हमारे साथ रहेंगी। अब नज़रें 2026 की नई सुबह पर हैं, जहाँ नई चुनौतियाँ और नई उम्मीदें हमारा इंतज़ार कर रही हैं।

Comments

Popular posts from this blog

डीडीयू रेल मंडल में प्रमोशन में भ्रष्टाचार में संलिप्त दो अधिकारी सहित 17 लोको पायलट गिरफ्तार !

जमालुद्दीन चक के पूर्व मुखिया उदय शंकर यादव नहीं रहे !

अलविदा! एक जन-नेता का सफर हुआ पूरा: प्रोफेसर वसीमुल हक़ 'मुन्ना नेता' नहीं रहे !