​नवाब आलम: जहाँ कानून की संजीदगी और कला की संवेदना का मिलन होता है !-प्रो प्रसिद्ध कुमार।

 जन्मदिन की बधाई !💐💐


​बिहार की मिट्टी ने सदैव ऐसे मनीषियों को जन्म दिया है जिन्होंने समाज के अंतिम व्यक्ति की आवाज़ बनना अपना धर्म समझा। इसी कड़ी में एक दीप्तिमान नाम है—नवाब आलम। पेशे से अधिवक्ता, स्वभाव से कलाकार और आत्मा से एक सजग सामाजिक कार्यकर्ता; नवाब आलम जी का व्यक्तित्व किसी बहुआयामी इंद्रधनुष की तरह है, जिसका हर रंग समाज सेवा और लोक-कल्याण को समर्पित है।

​बहुआयामी व्यक्तित्व: एक संक्षिप्त परिचय

​पटना के खगौल की गलियों से शुरू हुआ उनका सफर आज पूरे बिहार के लिए एक मिसाल बन चुका है। स्नातक और पत्रकारिता की शिक्षा प्राप्त करने वाले नवाब साहब ने 1990 में जब दानापुर सिविल कोर्ट के गलियारों में कदम रखा, तो उनके हाथ में केवल कानून की किताबें नहीं थीं, बल्कि उनके दिल में गरीबों के प्रति अगाध संवेदना भी थी। आज भी वे उन असहाय लोगों के लिए आशा की किरण हैं, जिन्हें वे निःशुल्क न्यायिक सलाह देकर न्याय की दहलीज तक पहुँचाते हैं।

​कला और साहित्य के 'सूत्रधार'

​नवाब जी केवल कानून के ज्ञाता ही नहीं, बल्कि कला-संस्कृति के अनन्य उपासक भी हैं। नाट्य संस्था 'सूत्रधार' के संस्थापक महासचिव के रूप में उन्होंने बिहार के रंगमंच को एक नई ऊर्जा दी। 1990 से ही 'नवभारत टाइम्स' और 'दिनमान' जैसे प्रतिष्ठित मंचों पर उनके द्वारा किए गए कला एवं राजनीतिक विश्लेषण उनकी पैनी दृष्टि और बौद्धिक गहराई का प्रमाण देते हैं।

​उनकी इस साधना को समय-समय पर राजकीय सम्मानों से भी अलंकृत किया गया है:

​बिहार कला पुरस्कार (2020): भिखारी ठाकुर रंगमंच सम्मान।

​मगध रंग लाइफटाइम अचीवमेंट सम्मान (2023)।

​राज्य भाषा सम्मान एवं बिहार कलाश्री पुरस्कार।

​राजनीति नहीं, जन-नीति का संकल्प

​राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर रहते हुए उन्होंने राजनीति को सत्ता का साधन नहीं, बल्कि सेवा का माध्यम बनाया। वर्तमान में राजद कला एवं संस्कृति प्रकोष्ठ के पटना जिलाध्यक्ष के रूप में वे कलाकारों के अधिकारों और सांस्कृतिक विरासत को सहेजने के लिए निरंतर प्रयत्नशील हैं।

​एक मित्र का नजरिया

​नवाब आलम जी का सबसे सुंदर पक्ष उनका निश्छल और सरल स्वभाव है। वे एक ऐसे 'नवाब' हैं जिनकी सल्तनत लोगों के दिलों में बसती है। साहित्य और कला में जीने वाला यह व्यक्ति जब कोर्ट की बहस से निकलता है, तो वह किसी मंच का अभिनेता या किसी गरीब का मसीहा बन जाता है। उनके लिए जीवन केवल खुद को गढ़ना नहीं, बल्कि समाज के बिखरे हुए सुरों को एक राग में पिरोना है।

​जन्मदिन की शुभकामना

नवाब साहब, आप जैसे बिरले व्यक्तित्व ही समाज की थाती होते हैं। आपके जन्मदिन पर ईश्वर से प्रार्थना है कि आपकी लेखनी की धार, कानून की निष्पक्षता और कला की वह चमक सदैव बनी रहे। आप स्वस्थ रहें, शतायु हों और इसी प्रकार बिहार की सांस्कृतिक चेतना को जीवंत रखें।

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