ऊर्जा के क्षेत्र में भारत की 'हाइड्रोजन क्रांति': एक सुनहरा भविष्य !
वर्तमान समय में जब पूरी दुनिया जलवायु परिवर्तन और कार्बन उत्सर्जन की चुनौतियों से जूझ रही है, भारत ने स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में एक बड़ी उम्मीद जगाई है। हालिया रिपोर्टों के अनुसार, परिवहन, बंदरगाह और स्टील जैसे प्रमुख उद्योगों को 'कार्बन-मुक्त' करने के लिए हाइड्रोजन की मांग तेजी से बढ़ रही है।
1. भारत के पास ऊर्जा का विशाल भंडार
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत के पास हाइड्रोजन का इतना विशाल प्राकृतिक भंडार है कि यह अगले 200 वर्षों से भी अधिक समय तक हमारी ऊर्जा जरूरतों को पूरा कर सकता है। यह न केवल हमें ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भर बनाएगा, बल्कि पेट्रोलियम आयात पर हमारी निर्भरता को भी कम करेगा।
2. औद्योगिक ही नहीं, अब घरेलू उपयोग की बारी
हाइड्रोजन का सबसे रोमांचक पहलू इसका घरेलू इस्तेमाल है। नए आविष्कारों और आधुनिक तकनीक के माध्यम से, वह दिन दूर नहीं जब हाइड्रोजन हमारे घरों की रसोई और अन्य दैनिक कार्यों के लिए आसानी से उपलब्ध होगा। यह आम आदमी के जीवन को अधिक सस्ता और प्रदूषण मुक्त बनाने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम होगा।
3. नवीकरणीय ऊर्जा और सरकारी लक्ष्य
भारत सरकार अपनी अक्षय ऊर्जा क्षमता को बढ़ाने के लिए युद्ध स्तर पर काम कर रही है। वर्तमान में:
सरकार 40 गीगावाट (GW) की उस क्षमता पर विशेष ध्यान केंद्रित कर रही है, जिसके बिजली खरीद या बिक्री समझौते लंबित हैं।
इन समझौतों के पूरे होते ही देश के ऊर्जा ग्रिड में भारी मात्रा में 'ग्रीन एनर्जी' का प्रवाह शुरू हो जाएगा।
हाइड्रोजन की ओर बढ़ता यह कदम केवल एक तकनीकी बदलाव नहीं, बल्कि भारत को 'ग्लोबल ग्रीन एनर्जी हब' बनाने का एक संकल्प है। प्रचुर संसाधन और सही दिशा में किए जा रहे प्रयास इस बात का संकेत हैं कि आने वाली पीढ़ियां एक स्वच्छ, सुरक्षित और समृद्ध भारत में सांस लेंगी।

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