विनोद कुमार शुक्ल को सूत्रधार की श्रद्धांजलि: "
साहित्य के जादुई यथार्थ के एक युग का अंत।
खगौल। हिंदी साहित्य के शिखर पुरुष, 'शब्दों के जादूगर' और सादगी के पर्याय विनोद कुमार शुक्ल जी के निधन पर नाट्य संस्था, सूत्रधार खगौल ने गहरा शोक व्यक्त किया है।
अपने शोक संदेश में संस्था के महासचिव नवाब आलम ने कहा, "विनोद जी ने साहित्य की दीवार में अनंत संभावनाओं की एक ऐसी खिड़की खोली थी, जिससे आने वाली ताजी हवा हिंदी जगत को सदियों तक महकाती रहेगी। उन्होंने हमें सिखाया कि कैसे बेहद साधारण और घरेलू शब्दों के माध्यम से मनुष्य के अस्तित्व की सबसे जटिल और असाधारण बातें कही जा सकती हैं।साहित्यकार प्रो. प्रसिद्ध कुमार ने उनकी रचनाओं को याद करते हुए कहा कि 'नौकर की कमीज' से लेकर 'दीवार में एक खिड़की रहती थी' तक, उनकी हर कृति निम्न-मध्यमवर्गीय जीवन की जद्दोजहद उसमें छिपी है।
इस अवसर पर संस्था के अन्य रंगकर्मी और साहित्य प्रेमी जिनमें विकाश कुमार उर्फ पप्पू, मुकेश कुमार, सऊद , शमशाद अनवर , शोएब कुरैशी, सामाजिक कार्यकर्ता चंदू प्रिंस, अस्तानंद सिंह रूपेश कुमार, जोगेंद्र यादव,जितेंद्र वत्स,रंजन कुमार, जय प्रकाश मिश्र, जीशान आलम, आसिफ हसन, राशिद आदि ने भी विनोद जी के अप्रतिम योगदान को याद किया, वक्ताओं ने कहा "विश्राम तो शरीर ने किया है, आपकी शब्द-यात्रा तो अब युगों तक चलेगी।"

Comments
Post a Comment