"साहित्य की दीवार में अनंत संभावनाओं की एक खिड़की हमेशा के लिए खुली छोड़कर, शब्दों के जादूगर विदा हो गए..." 🖋️
निराली सादगी और जादुई यथार्थ के अमर रचनाकार विनोद कुमार शुक्ल जी को भावभीनी श्रद्धांजलि।
विनोद जी ने हमें सिखाया कि कैसे बहुत साधारण शब्दों में बहुत असाधारण बातें कही जा सकती हैं। 'नौकर की कमीज' से लेकर 'दीवार में एक खिड़की रहती थी' तक, उनकी हर रचना निम्न-मध्यमवर्गीय जीवन की जद्दोजहद और उसमें छिपी मासूमियत का जीवंत दस्तावेज़ है।
अंतिम क्षणों में भी हाथ में कलम और कागज की चाह रखने वाला यह मौन साधक, हिंदी साहित्य को एक ऐसा मुहावरा दे गया जो सदियों तक गूँजता रहेगा।
✨ विश्राम तो शरीर ने किया है, आपकी शब्द-यात्रा तो अब युगों तक चलेगी।
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