पंचायत चुनाव का मॉडल- मेरी नजर में। प्रसिद्ध यादव।
अगर वास्तव में चाहते हैं की पंचायत में साफ छवि, कर्मठ, ईमंदार लोग जीत कर आये, तब निष्पक्ष विश्लेषण करना होगा। जीत सुनिश्चित होगी। हमें जाति, वर्ग , पैसों की लालच से उपर उठना होगा।
उदाहरण के लिए फुलवारी प्रखंड के मैनपुर अंडा पंचायत-
पद का नाम
1 मुखिया - समान्य वर्ग - अभी काबिज अति पिछडा वर्ग महिला। पकोलि। आरोप - इनके पति दो बार शराब पीने में जेल गए। दोनों पुत्र शराब पीने में अर्मस् में जेल गए। इंदिरा आवास में लाभुकों से पैसा उगाही सहित अनेक आरोप हैं
1 सरपंच _ .......... अभी काबिज समान्य वर्ग । मोहम्मदपुर। आरोप फैसला करने में धर्मपुर में विवाद पुलिस तक पहुंची मामला।
3 जिला परिषद- अनुसूची जाति समान्य। काबिज मोहम्मदपुर। आरोप जीप अध्यक्ष चुनाव में पैसों का खेल, खुद की ठेकेदारी और शराब की तस्करी में जेल गये ।
4 पंचायत समिति 2- समान्य वर्ग। मोहम्मदपुर। प्रखंड से लगाव कम, जमीन, बैंक से ज्यादा लगाव
5 पंचायत समिति 1 समान्य महिला। काबिज अति पिछडा
मोटेशन, अन्य कागजात बनाने में ज्यादा रुचि।
6 उप मुखिया_ मांझाओलि। अनुसूची जाति। विपक्ष की भूमिका नगण्य
7 उप सरपंच - बाबुचक्, समान्य वर्ग। सरपंच ही सर्वेसर्वा।
8 पैक्स अध्यक्ष- समान्य वर्ग। काबिज बसंतचक्। गेंहू, धान की क्रय संतोषजनक।
यह एक मेरी नजरिया है। आपकी राय क्या है? जरूर बताएं। पूरे बिहार के पंचायत की यही हाल है। अब सोचना है आमजन को की इससे मुक्ति पाएँ की इसी दलदल में फंसे रहें। अगर लोग जाति वर्ग से उपर उठकर उम्मीदवार तय कर ले तो यह कोढ़ खत्म हो जायेगा। 5 साल क्या मिला ईमंदारी से जवाब ढूंढे और इसका निराकरण करें।
बेवाक लेखनी प्रसिद्ध यादव।

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