" त हम कुँवारे रहें ?" नाटक की नाट्य समीक्षा -प्रसिद्ध यादव।
दहेज प्रथा पर करारा प्रहार!
27 फरवरी को कालिदास रंगालय ,पटना में सूत्रधार खगौल द्वारा 57 वीं नवीनतम नाट्य प्रस्तुति महासचिव नवाब आलम की दूरदर्शिता, सतीश कुमार मिश्र लिखित ,नीरज कुमार द्वारा निर्देशित ,प्रसिद्ध यादव द्वारा समन्वित " त हम कुँवारे रहें?" नाटक दर्शकों को हास्य व्यंग्य के हिंदी मगही भाषा में संवादों के साथ भरपूर मनोरंजन के साथ सामाजिक बुराइयों पर करारा प्रहार किया गया ।बेटा के ब्याह कर रहे हैं कि बेटा के बेच रहे हैं जी ! कोई बेटा कलक्टर हो चाहे चपरासी ,दहेज काहे कम लेंगे।आखिर बेटा है त बेटे न रहेगा कि कौनो बेटी हो जाएगा। दहेजवे लेवे से न मालूम होता है कि किसका केतना औकाद है। जेतना ज्यादा दहेज मिलेगा, ओतने बड़का आदमी कहलायेंगे।ऐसे ही दहेज लेने वाले पर तीखी व्यंग के संवाद से चुभ रहा था . दहेज लोभियों को।ज्ञान गुण सागर अपने पिता से कहता है कि त हम कुंवारे रहें लेकिन उसके पिता तीन लोक उजागर प्रसाद पर कोई फर्क नहीं पड़ता वह तो 1000000 दहेज के चक्कर में अपने अनपढ़ गवार और विकलांग बेटे की शादी नहीं करता है पिता कहता है जब तक 1000000 दहेज नहीं मिलेगा तब तक वह अपने बेटे ज्ञान गुण सागर की शादी नहीं करेगा लेकिन शादी का शौक पाले ज्ञान गुण सागर कहता है मेरी शादी बैगन वाली से कर दो उसका पिता नहीं मानता है तो मछली वाली का नाम लेता है लेकिन उसका पिता टस से मस नहीं होता है उसने बेटे से कहा अब मैं कुर्ता, पजामा, धोती और जूता लाकर देता हूं
तुम वही पहन कर अगवा के सामने निकलो देखता हूं अगुआ कैसे नहीं 1000000 देता है। ज्ञान गुण सागर पर कटाक्ष करते हुए कहा गया कि ये हनुमान जी की तरह ज्ञान गुण सागर है, जिसे फल और सूर्य में फर्क नहीं मालूम है और सूर्य को फल समझकर खा गए थे। गुण सागर को उसके पिता और भाई ने भाभी की . रोसगड़ी करवाने के लिए भाई के ससुराल भेजा और दोनों पिता पुत्र ज्ञान गुण सागर को समझाये की वहां जाकर केवल " हाँ जी और ना जी " मे उतर देना है। गुणसागर वही किया और अर्थ का अनर्थ हो गया हाँ जी और ना जी के चक्कर में अपने भाई की मरने की ख़बर समझा दिया।घर में कोहराम मच गया। कुछ दिन बाद लड़की के पिता बेटी के ससुराल आये तो यहाँ सब ठीक था। लड़की के पिता गुणसागर की हरकत को उसके पिता से कहते हैं कि आपके बेटा पहले भी बहुत गलत बोला है जब बेटा मर गया था और पोरसीसीय में यही लड़का गया था और बोला था कि बहुत अच्छा हुआ है, इसे तो पहले ही मर जाना चाहिए था।गुणसागर के पिता ने आश्वस्त करते हुए बोला कि- अबकी आपके छोटा बेटा मरेगा तो इसे न भेजकर खुद आऊंगा।इतना सुनते ही लड़की के पिता बेहोश हो गए। गुणसागर की शादी नही हो रही थी वो दो ठग के झांसे में आकर अपने घर के सारा धन ढंग को जाकर दे दिया और शादी भी नही हुई। नाटक के क्लाइमेक्स सुखांत रहा मुखिया सरपंच और पंच मिलकर गुणसागर की शादी पंचायत में ही दहेज मुक्त करवाकर समाज को दहेज मुक्त शादी करने का संदेश दिया। कलाकारों ने अपने अभिनय से दर्शकों के दिल जीत लिया मंच के प्रकाश, आवाज मन को मोह लिया।
कार्यक्रम का उद्घाटनकर्ता व मुख्य अतिथि
डॉ राज कुमार नाहर निदेशक दूरदर्शन
अतिथि अशोक प्रियदर्शी,नाटककार
ठाकुर ओमकार नाथ सिंह,वरिष्ठ रंगकर्मी
मनीष वर्मा,लेखक
कुमार अभिषेक,सचिव बिहार आर्ट थिएटर,पटना
वीएस मिश्र,वरिष्ठ रंगकर्मी मौजूद रहे। अतिथियों को शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया।प्रसिद्ध यादव ने डॉ राजकुमार नाहर ,निदेशक दूरदर्शन, पटना व कुमार अभिषेक को आस्तानन्द मनीष वर्मा को ,मो सादिक अशोक प्रियदर्शी को ,अखिलेश ठाकुर ओंकार नाथ सिंह को शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया।
पत्र परिचय-
तीन लोक उजागर प्रसाद - शशी भूषण कुमार
बिक्रम बजरंगी प्रसाद - रिपु पांडेय
ज्ञान गुण सागर प्रसाद -दीपक कुमार
पंचफोरन प्रसाद - सुधीर कुमार
------------------की बीबी - आराधना श्री
बजर मूढ़ चौधरी -आनंद मोहन
पेपची प्रसाद -निशांत कुमार
मुखिया -दीपक कुमार
सरपंच- रंजन सिंह
तीन लोक उजागर की पत्नी -दिव्या सिंह
महाबीर की पत्नी - दिव्या सिंह
खदेरन की साली -सेजल भारती
ठगना -रत्नेश कुमार
धुतीनंद -धीरज कुमार
कोहरा प्रसाद -नीरज कुमार।
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