नीतीश सरकार के 12 वर्षों में10 पेपर लीक ! कुछ बोलिये जनाब!

 


अब इसे डबल इंजन ,गुड गवर्नेंस कहें तो बैड गवर्नेंस किसे कहा जाये ? पेपर लीक से सबसे अधिक प्रभावित मेधावी छात्र हुए हैं और रसूख तथा लक्ष्मी पुत्र अयोग्य होते हुए सेट हो गये।

प्रमुख पेपर लीक मामले (तथ्यों के साथ):

NEET UG 2024:

यह परीक्षा 5 मई, 2024 को आयोजित हुई थी।

परीक्षा के बाद पेपर लीक और कुछ उम्मीदवारों के नंबर बढ़ाने के आरोप लगे।

छात्रों द्वारा सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई, जिसके बाद संशोधित रिजल्ट जारी किया गया।

इस मामले में बिहार में पेपर लीक माफिया की संलिप्तता सामने आई और कई गिरफ्तारियां हुईं।

नीट यूजी 2024 पेपर लीक मामले में बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई (EOU) ने कई लोगों को गिरफ्तार किया है। इसमें संजीव मुखिया गैंग का नाम भी सामने आया है।

UGC NET 2024:

यह परीक्षा 18 जून, 2024 को आयोजित हुई थी।

अगले ही दिन, 19 जून को शिक्षा मंत्रालय ने इसे रद्द कर दिया, क्योंकि पेपर डार्कनेट पर लीक हो गया था और टेलीग्राम के माध्यम से फैलाया गया था।

परीक्षा की निष्पक्षता बनाए रखने के लिए इसे रद्द कर दोबारा आयोजित करने का निर्णय लिया गया।

BPSC (बिहार लोक सेवा आयोग) परीक्षाएं:

70वीं संयुक्त प्रारंभिक परीक्षा (दिसंबर 2024): इस परीक्षा के दौरान कथित तौर पर पेपर लीक के आरोप लगे, जिसके बाद पटना के बापू एग्जाम सेंटर पर हुई परीक्षा को रद्द कर दिया गया। हालांकि, BPSC ने शुरुआत में पेपर लीक के दावों का खंडन किया था, लेकिन बाद में बापू एग्जाम सेंटर पर अनियमितता स्वीकार करते हुए पुनः परीक्षा का आदेश दिया। कुछ रिपोर्टों में यह भी दावा किया गया कि परीक्षा केंद्र पर छात्रों को प्रश्न पत्र देर से मिले और ओएमआर शीट फाड़ने जैसी घटनाएं हुईं।

67वीं प्रारंभिक परीक्षा (2022): इस परीक्षा में भी पेपर लीक के आरोप लगे थे, जिसके बाद BPSC ने सभी केंद्रों पर परीक्षा दोबारा आयोजित करने पर सहमति जताई थी।

शिक्षक बहाली परीक्षा (2023): बिहार शिक्षक बहाली परीक्षा का पेपर भी सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था, जिसके बाद पुलिस ने कई लोगों पर केस दर्ज किया और परीक्षा रद्द कर दी गई।

बिहार सिविल सेवा परीक्षा (2022): पेपर लीक होने के चलते इसे भी रद्द किया गया था।

बिहार पुलिस भर्ती परीक्षा (2023): इस परीक्षा का पेपर भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था, जिसके बाद इसे रद्द कर दिया गया था।

बिहार कर्मचारी चयन आयोग (BSSC) की परीक्षाएं:

तृतीय स्नातक स्तरीय संयुक्त प्रारंभिक परीक्षा (2022): इस परीक्षा का प्रश्न पत्र भी लीक हो गया था, जिसके बाद मुख्य आरोपी सहित कई लोगों को गिरफ्तार किया गया था।

क्या ऐसे में मेधावी छात्रों को सफलता मिल सकती है?

पेपर लीक की घटनाएं मेधावी छात्रों के लिए बेहद निराशाजनक और अन्यायपूर्ण होती हैं। इसके कई गंभीर परिणाम होते हैं:

विश्वास में कमी: छात्रों का शिक्षा प्रणाली और सरकारी भर्ती प्रक्रियाओं से विश्वास उठ जाता है। उन्हें लगता है कि उनकी कड़ी मेहनत का कोई मूल्य नहीं है।

तनाव और चिंता: लगातार पेपर लीक होने और परीक्षा रद्द होने से छात्रों में अत्यधिक तनाव, चिंता और निराशा बढ़ती है। वे अपने भविष्य को लेकर अनिश्चित महसूस करते हैं।

समय और धन की बर्बादी: मेधावी छात्र महीनों, यहां तक कि सालों तक तैयारी करते हैं, कोचिंग में पैसा लगाते हैं। पेपर लीक होने पर परीक्षा रद्द हो जाती है या स्थगित हो जाती है, जिससे उनकी सारी मेहनत, समय और पैसा बर्बाद हो जाता है।

अयोग्य को लाभ, योग्य को नुकसान: जो लोग पेपर लीक का लाभ उठाते हैं, वे बिना मेहनत के पदों पर काबिज हो जाते हैं, जबकि योग्य और मेहनती छात्र वंचित रह जाते हैं। यह वास्तव में प्रतिभा का अपमान है और समाज में भ्रष्टाचार को बढ़ावा देता है।

पलायन और प्रतिभा पलायन: बिहार में पेपर लीक की बढ़ती घटनाओं के कारण कई मेधावी छात्र बेहतर अवसरों की तलाश में दूसरे राज्यों में जाने को मजबूर होते हैं, जिससे "ब्रेन ड्रेन" की समस्या बढ़ती है।

राज्य के विकास पर नकारात्मक प्रभाव: जब अयोग्य लोग पदों पर काबिज होते हैं, तो सरकारी विभागों और सेवाओं की गुणवत्ता प्रभावित होती है, जिससे राज्य के समग्र विकास पर नकारात्मक असर पड़ता है।

नीतीश सरकार ने पेपर लीक को रोकने के लिए "बिहार लोक परीक्षा (अनुचित साधन निवारण) विधेयक, 2024" जैसा सख्त कानून भी पारित किया है, जिसमें दोषियों को 10 साल तक की जेल और ₹1 करोड़ तक के जुर्माने का प्रावधान है। हालांकि, इन कानूनों का सख्ती से पालन और प्रभावी क्रियान्वयन ही छात्रों में फिर से विश्वास जगा सकता है। जब तक पेपर लीक माफिया पर पूरी तरह से लगाम नहीं लगती, मेधावी छात्रों के लिए अपनी योग्यता के दम पर सफलता प्राप्त करना एक बड़ी चुनौती बना रहेगा। 

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