सम्राट चौधरी के अजीबोगरीब दस्तावेज़: क्या उम्र और शिक्षा में है कोई रहस्य? जनता को जवाब दें ।
बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, जिन्हें राकेश कुमार के नाम से भी जाना जाता है, हाल ही में कुछ ऐसे दस्तावेज़ों को लेकर चर्चा में हैं जो उनकी उम्र और शैक्षणिक योग्यता को लेकर सवाल खड़े करते हैं। इन दस्तावेज़ों की पड़ताल करने पर कुछ चौंकाने वाले तथ्य सामने आते हैं, जो न केवल उनकी प्रोफाइल पर संदेह पैदा करते हैं, बल्कि एक आम नागरिक के मन में कई सवाल भी उठाते हैं।
उम्र का गणित: 10 साल में 23 साल कैसे बढ़े?
दस्तावेज़ों के अनुसार, अक्टूबर 2010 में सम्राट चौधरी की उम्र 28 साल बताई गई है। अगर यह जानकारी सही है, तो गणित के हिसाब से 10 साल बाद यानी जून 2020 में उनकी उम्र 38 साल होनी चाहिए थी। लेकिन, जून 2020 के एक दस्तावेज़ में उनकी उम्र 51 साल दर्ज है। यह एक बड़ा विरोधाभास है। क्या 10 साल की अवधि में किसी व्यक्ति की उम्र 23 साल बढ़ सकती है? मानवजाति में यह संभव नहीं है। यह विसंगति कई संदेहों को जन्म देती है। क्या यह किसी प्रकार की त्रुटि है, या फिर कुछ और?
शैक्षणिक योग्यता में 'क्वांटम लीप': 7वीं से सीधे डी. लिट?
उम्र के साथ-साथ, सम्राट चौधरी की शैक्षणिक योग्यता में भी एक उल्लेखनीय बदलाव दिखता है। अक्टूबर 2010 के दस्तावेज़ के अनुसार, वे केवल 7वीं कक्षा तक पढ़े थे। लेकिन, जून 2020 तक वे 'डॉक्टर ऑफ लिटरेचर' (D. Litt) की डिग्री हासिल कर चुके थे, और वह भी 'कैलिफ़ोर्निया पब्लिक यूनिवर्सिटी, USA' से। यह एक असाधारण शैक्षणिक यात्रा प्रतीत होती है, जहाँ कोई व्यक्ति 10 साल में 7वीं कक्षा से सीधे डी. लिट जैसी उच्च डिग्री प्राप्त कर लेता है।
सवाल यह भी उठता है कि 'PFC कमराज यूनिवर्सिटी' का ज़िक्र भी दस्तावेज़ में है। क्या यह वही संस्थान है जहाँ से उन्होंने डी. लिट की डिग्री प्राप्त की? और यह 'PFC कमराज यूनिवर्सिटी' वास्तव में कहाँ स्थित है और इसकी क्या मान्यता है? जब हमारे राजनेता स्वयं संदेहजनक डिग्री धारण करते हैं, तो यह जनता में विश्वास की कमी पैदा करता है।
आपराधिक रिकॉर्ड भी सवालों के घेरे में
इन विसंगतियों के बीच, यह भी सामने आया है कि सम्राट चौधरी उर्फ़ राकेश कुमार के ऊपर गगोरी थाना में FIR नंबर 29/2005 दर्ज है। यह जानकारी उनके सार्वजनिक जीवन को और भी जटिल बनाती है।
जनता को जवाब चाहिए
सम्राट चौधरी, जो अब बिहार के उपमुख्यमंत्री जैसे महत्वपूर्ण पद पर हैं, उन्हें इन दस्तावेज़ों में सामने आई विसंगतियों पर स्पष्टीकरण देना चाहिए। एक सार्वजनिक पद पर बैठे व्यक्ति की व्यक्तिगत जानकारी में इस तरह की असमानताएँ पारदर्शिता और जवाबदेही पर सवाल उठाती हैं। क्या यह केवल एक clerical error है, या इसके पीछे कोई और कहानी है?
यह उम्मीद की जाती है कि सम्राट चौधरी उर्फ़ राकेश कुमार इन सभी बिंदुओं पर जनता को तथ्यात्मक और संतोषजनक जवाब देंगे।



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