भारत और अमेरिका की संघीय ढांचे को जानें ! क्या है दोनों में अंतर ? -प्रो प्रसिद्ध कुमार।

   भारत और अमेरिका, दोनों ही संघीय (federal) व्यवस्था वाले देश हैं, लेकिन उनके "यूनियन" की प्रकृति और कार्यप्रणाली में महत्वपूर्ण अंतर हैं। इसे उदाहरणों के साथ समझने के लिए, हमें दोनों देशों के संवैधानिक ढांचे और संघीय विशेषताओं को देखना होगा।

भारत का यूनियन:

भारत को "राज्यों का संघ" कहा जाता है, जिसका अर्थ है कि राज्य संघ से अलग होने का अधिकार नहीं रखते हैं। भारतीय संघवाद की कुछ प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं:

सशक्त केंद्र: भारतीय संविधान ने केंद्र सरकार को राज्यों की तुलना में अधिक शक्तियां प्रदान की हैं।

उदाहरण: केंद्र के पास अवशिष्ट शक्तियां (जो विषय संघ और राज्य सूची में शामिल नहीं हैं) होती हैं। आपातकाल के दौरान, केंद्र सरकार की शक्तियां बहुत बढ़ जाती हैं, और राज्य लगभग केंद्र के अधीन हो जाते हैं।

एकल नागरिकता: भारत में सभी नागरिक केवल भारतीय नागरिकता धारण करते हैं, राज्यों की कोई अलग नागरिकता नहीं होती है।

उदाहरण: आप उत्तर प्रदेश के निवासी हों या तमिलनाडु के, आपकी नागरिकता भारतीय ही रहेगी।

अविनाशी संघ, विनाशी राज्य: भारत एक अविनाशी संघ है, यानी कोई भी राज्य संघ से अलग नहीं हो सकता, लेकिन संसद साधारण बहुमत से राज्यों की सीमाओं या नामों में परिवर्तन कर सकती है।

उदाहरण: आंध्र प्रदेश से तेलंगाना का निर्माण या उत्तर प्रदेश से उत्तराखंड का निर्माण संसद के कानून द्वारा संभव हुआ।

एकीकृत न्यायपालिका: भारत में सर्वोच्च न्यायालय के शीर्ष पर एक एकीकृत न्यायपालिका है, जिसके नीचे उच्च न्यायालय और अधीनस्थ न्यायालय हैं। राज्यों के उच्च न्यायालय भी सर्वोच्च न्यायालय के अधीन हैं।

उदाहरण: किसी राज्य के उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में अपील की जा सकती है।

राज्यपाल की भूमिका: राज्यपाल केंद्र सरकार के प्रतिनिधि के रूप में राज्यों में कार्य करता है, और उसकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। वह राज्य के विधेयकों पर वीटो भी कर सकता है।

अखिल भारतीय सेवाएं: भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) और भारतीय पुलिस सेवा (IPS) जैसी अखिल भारतीय सेवाएं केंद्र द्वारा नियंत्रित होती हैं, लेकिन वे राज्यों में सेवा करती हैं।

अमेरिका का यूनियन:

संयुक्त राज्य अमेरिका "अविनाशी राज्यों का अविनाशी संघ" है, जिसका अर्थ है कि न तो कोई राज्य संघ से अलग हो सकता है और न ही राज्यों की सहमति के बिना उनकी सीमाओं में बदलाव किया जा सकता है। अमेरिकी संघवाद की कुछ प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं:

राज्यों को अधिक स्वायत्तता: अमेरिकी संविधान राज्यों को भारतीय राज्यों की तुलना में अधिक स्वायत्तता प्रदान करता है।

उदाहरण: 10वां संशोधन संघीय सरकार को न सौंपी गई सभी शक्तियों को राज्यों के लिए आरक्षित रखता है। राज्यों के पास अपनी शिक्षा प्रणाली, पुलिस व्यवस्था और यहां तक कि कुछ अलग कानूनी प्रणालियां (जैसे कुछ राज्यों में मृत्युदंड का होना या न होना) होती हैं।

दोहरी नागरिकता: अमेरिका में व्यक्तियों के पास संघीय नागरिकता के साथ-साथ उस राज्य की भी नागरिकता होती है जहां वे रहते हैं।

उदाहरण: एक व्यक्ति संयुक्त राज्य अमेरिका का नागरिक होने के साथ-साथ कैलिफोर्निया राज्य का नागरिक भी हो सकता है।

राज्यों का समान प्रतिनिधित्व: सीनेट (अमेरिकी संसद का ऊपरी सदन) में सभी राज्यों को समान प्रतिनिधित्व मिलता है, चाहे उनकी जनसंख्या कितनी भी हो (प्रत्येक राज्य से दो सीनेटर)।

उदाहरण: कैलिफोर्निया (बड़ी आबादी वाला राज्य) और व्योमिंग (कम आबादी वाला राज्य) दोनों के पास सीनेट में 2-2 सदस्य होते हैं।

न्यायपालिका का दोहरा स्वरूप: अमेरिका में संघीय और राज्य स्तर पर अलग-अलग न्यायालय प्रणालियां होती हैं। राज्य अदालतें संघीय अदालतों से स्वतंत्र होती हैं।

उदाहरण: एक राज्य के कानून से संबंधित मामले राज्य अदालत में सुने जाएंगे, जबकि संघीय कानून से संबंधित मामले संघीय अदालत में।

राज्यपाल का सीधे चुनाव: राज्यों के राज्यपालों का चुनाव सीधे राज्य के मतदाताओं द्वारा किया जाता है, न कि केंद्र द्वारा नियुक्त किया जाता है।

मुख्य अंतर और उदाहरण:

विशेषता

भारत का यूनियन

अमेरिका का यूनियन

केंद्र-राज्य संबंध

केंद्र अधिक शक्तिशाली, राज्य अपेक्षाकृत कम स्वायत्त

राज्य अधिक स्वायत्त, केंद्र की शक्तियां सीमित

नागरिकता

एकल नागरिकता (केवल भारतीय)

दोहरी नागरिकता (संघीय + राज्य)

राज्यों का अस्तित्व

संघ अविनाशी, राज्य विनाशी (संसद बदल सकती है)

संघ अविनाशी, राज्य अविनाशी (राज्यों की सहमति के बिना नहीं)

न्यायपालिका

एकीकृत न्यायपालिका

दोहरी न्यायपालिका (संघीय और राज्य की अलग)

राज्यों का प्रतिनिधित्व

जनसंख्या के आधार पर (लोकसभा), असमान (राज्यसभा)

जनसंख्या के आधार पर (प्रतिनिधि सभा), समान (सीनेट)

अवशिष्ट शक्तियां

केंद्र के पास

राज्यों के पास (10वें संशोधन द्वारा)

संक्षेप में, जबकि दोनों देशों में शक्ति का विभाजन केंद्र और राज्यों के बीच होता है, भारत का संघवाद "अर्ध-संघीय" या "केंद्रोन्मुखी" प्रकृति का है, जहां केंद्र सरकार को मजबूत बनाया गया है। इसके विपरीत, अमेरिकी संघवाद "शुद्ध संघवाद" के करीब है, जहां राज्यों को अधिक स्वायत्तता और स्वतंत्रता प्राप्त है।




 


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