राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने अपनी नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी का गठन कर लिया है!

   


 23 जुलाई 2025 से प्रभावी यह नई टीम, पार्टी को नई दिशा देने और 2025 के आगामी चुनावों के लिए रणनीति तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

नया नेतृत्व, नया जोश!

इस नई कार्यकारिणी में अनुभवी नेताओं के साथ-साथ कुछ नए चेहरों को भी शामिल किया गया है, जो पार्टी के भविष्य के लिए एक संतुलित और मजबूत नेतृत्व का संकेत देता है।

अध्यक्ष: श्री लालू प्रसाद यादव - पार्टी के मुखिया के रूप में लालू प्रसाद यादव फिर से नेतृत्व कर रहे हैं।

उपाध्यक्ष: श्रीमती राबड़ी देवी - राबड़ी देवी उपाध्यक्ष की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी संभालेंगी।

महासचिव: श्री अब्दुल बारी सिद्दीकी - संगठन के महत्वपूर्ण कार्यभार को श्री अब्दुल बारी सिद्दीकी संभालेंगे।

कोषाध्यक्ष: श्री सुनील कुमार सिंह - पार्टी के वित्तीय मामलों की जिम्मेदारी श्री सुनील कुमार सिंह के पास होगी।

महासचिव (सामान्य): श्री जय प्रकाश नारायण यादव और डॉ. नीलोहितदास (पूर्व एमएलए) - ये दोनों महासचिव के रूप में पार्टी को मजबूत करेंगे।

इसके अलावा, विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर कई अन्य अनुभवी नेताओं को भी नियुक्त किया गया है, जैसे:

श्री जगदानंद सिंह

श्री महबूब अली कैसर

श्री उदय नारायण चौधरी

श्री भोला यादव

श्री ललित कुमार यादव (एमएलए)

श्री कुमार सर्वजीत (एमएलए)

श्री सैयद फैसल अली (एमएलसी)

श्री अभय सिंह (झारखंड)

श्री सुखदेव पासवान

श्रीमती सुशीला मोराले

श्रीमती अनु चाको (केरल)

श्री अलख निरंजन उर्फ ​​बिनु यादव

श्रीमती रेनू कुशवाहा

श्री यदुवंश कुमार यादव

डॉ. लाल रत्नाकर

श्री भारत भूषण मंडल (एमएलए)

श्री कार्तिकेय कुमार सिंह (एमएलसी)

श्री विजय वर्मा (मधेपुरा)

श्री संतोष कुमार जायसवाल (दिल्ली)

श्री संजय ठाकुर (मुजफ्फरपुर)

श्री राजेंद्र राम (पूर्व एमएलए)

श्रीमती स्वीटी सीमा हेम्बरम (पूर्व एमएलए)

श्री सुरेंद्र राम (एमएलए)

यह नई कार्यकारिणी आरजेडी को और अधिक मजबूती प्रदान करेगी और आने वाले समय में बिहार की राजनीति में पार्टी की भूमिका को और भी प्रभावी बनाएगी।


Comments

Popular posts from this blog

डीडीयू रेल मंडल में प्रमोशन में भ्रष्टाचार में संलिप्त दो अधिकारी सहित 17 लोको पायलट गिरफ्तार !

जमालुद्दीन चक के पूर्व मुखिया उदय शंकर यादव नहीं रहे !

अलविदा! एक जन-नेता का सफर हुआ पूरा: प्रोफेसर वसीमुल हक़ 'मुन्ना नेता' नहीं रहे !