मौजूदा 4-स्तरीय जीएसटी स्लैब (5%, 12%, 18% और 28%) को घटाकर दो स्लैब (5% और 18%) करने का प्रस्ताव ! -प्रो प्रसिद्ध कुमार ,अर्थशास्त्र, विभाग।
गब्बर सिंह टैक्स ऐसे ही नही कहा जाता था।4 स्लैब का जीएसटी कुछ अव्यवहारिक था और लोगों को दुविधा में डाले रखा ।कई सालों तक लोग समझ नहीं पा रहे थे कि उनके कारोबार किस स्लैब में है।अब सरकार की नींद खुली है। हाल ही में जीएसटी दरों को और आसान बनाने के लिए मंत्रियों के समूह (GoM) ने एक महत्वपूर्ण सिफारिश की है। इस सिफारिश के तहत, मौजूदा 4-स्तरीय जीएसटी स्लैब (5%, 12%, 18% और 28%) को घटाकर केवल दो स्लैब (5% और 18%) करने का प्रस्ताव है।
फिलहाल, यह सिर्फ एक सिफारिश है, जिस पर अभी जीएसटी परिषद (GST Council) को अंतिम फैसला लेना बाकी है। अगर परिषद इसे मंजूरी दे देती है, तो यह जीएसटी प्रणाली में एक बड़ा बदलाव होगा।
नया प्रस्तावित जीएसटी स्लैब
प्रस्तावित नए स्लैब कुछ इस प्रकार काम करेंगे:
5%: इसमें वे सभी आवश्यक वस्तुएं शामिल होंगी जो फिलहाल 12% के स्लैब में आती हैं। इससे आम आदमी के लिए रोजमर्रा की कई चीजें सस्ती हो जाएंगी, जैसे कपड़े, जूते और कुछ घरेलू सामान।
18%: यह एक स्टैंडर्ड दर होगी जिसमें वे सभी वस्तुएं और सेवाएं शामिल होंगी जो अभी 12% और 28% के स्लैब में आती हैं। इस बदलाव से टीवी, फ्रिज, वॉशिंग मशीन और सीमेंट जैसे सामानों पर टैक्स कम हो जाएगा, जिससे वे सस्ते हो सकते हैं।
विशेष दर: तंबाकू और पान मसाला जैसे 'सिन गुड्स' और लग्जरी कारों पर एक विशेष और ऊंची दर (लगभग 40%) लगाई जा सकती है।
क्या पुराना जीएसटी स्लैब अव्यवहारिक था?
पुराने स्लैब को पूरी तरह से अव्यवहारिक कहना शायद सही नहीं होगा, लेकिन उसमें कुछ चुनौतियां जरूर थीं, जिनके कारण बदलाव की जरूरत महसूस हुई। इन चुनौतियों को दूर करने के लिए ही यह नया प्रस्ताव लाया गया है।
मुख्य कारण कुछ इस तरह हैं:
सरलता की कमी: कई स्लैब होने से टैक्स प्रणाली थोड़ी जटिल हो गई थी। कारोबारियों को अलग-अलग सामानों पर अलग-अलग दरें लागू करने में दिक्कत आती थी, जिससे नियमों का पालन करना मुश्किल हो जाता था।
टैक्स पर बहस: कई वस्तुओं पर यह तय करना मुश्किल था कि उन्हें किस स्लैब में रखा जाए। 12% और 18% के बीच का अंतर अक्सर बहस का कारण बनता था।
उपभोक्ताओं के लिए लागत: कई आवश्यक और मध्यम वर्ग के सामान 12% और 18% के स्लैब में आते थे, जिससे उनकी कीमतें बढ़ जाती थीं। नए प्रस्ताव से इन वस्तुओं पर टैक्स कम हो जाएगा, जिससे आम आदमी को राहत मिलेगी।

Comments
Post a Comment