भारत में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता ! बिहार में उच्च शिक्षा में 55 छात्रों पर एक शिक्षक !
भारत में उच्च शिक्षा का विस्तार तो हुआ है, लेकिन गुणवत्ता के मोर्चे पर अभी भी चुनौतियाँ बनी हुई हैं। राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद (NAAC) द्वारा मान्यता प्राप्त संस्थानों में से, 68% विश्वविद्यालयों और 91% कॉलेजों को "औसत" या "औसत से कम" दर्जा दिया गया है। इसका मुख्य कारण अनुसंधान क्षमताओं की कमी, योग्य शिक्षकों की कमी और बुनियादी ढांचे की चुनौतियों से जुड़ा है। फिर भी, राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 जैसी पहलें और प्रधानमंत्री अनुसंधान फैलोशिप जैसे कार्यक्रम गुणवत्ता बढ़ाने पर केंद्रित हैं।
छात्र-शिक्षक अनुपात
भारत में उच्च शिक्षा में छात्र-शिक्षक अनुपात 23:1 पर स्थिर बना हुआ है। हालांकि यह एक औसत आंकड़ा है और विभिन्न शिक्षण संस्थानों में काफी भिन्नता हो सकती है। समग्र शिक्षा प्रणाली के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 ने 1:30 का अनुपात रखने की सिफारिश की है।
बिहार के संदर्भ में
बिहार में उच्च शिक्षा की स्थिति चिंताजनक मानी जाती है। एक सर्वेक्षण के अनुसार, 51% छात्रों का मानना था कि बिहार में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता बेहद खराब है और 29% ने इसे खराब माना। इसका एक कारण सुविधाओं की कमी है।
बिहार में उच्च शिक्षा की स्थिति काफी चुनौतीपूर्ण है, हालाँकि कुछ क्षेत्रों में सुधार भी देखने को मिल रहे हैं।
सकल नामांकन अनुपात (GER): बिहार का GER राष्ट्रीय औसत से काफी कम है। 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, केवल 17% छात्र ही उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं, जो राष्ट्रीय औसत से बहुत कम है। इस मामले में बिहार 36 राज्यों की सूची में 34वें स्थान पर है। हालाँकि, बिहार सरकार का लक्ष्य 2030 तक इस अनुपात को 50% तक बढ़ाना है।
शिक्षक-छात्र अनुपात: बिहार में शिक्षक-छात्र अनुपात चिंताजनक है। राष्ट्रीय स्तर पर जहाँ 18 छात्रों पर एक शिक्षक है, वहीं बिहार में 55 छात्रों पर एक शिक्षक है, जो गुणवत्तापूर्ण शिक्षा में एक बड़ी बाधा है।
बुनियादी ढाँचा और गुणवत्ता: छात्रों के सर्वेक्षणों के अनुसार, बिहार में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता को बहुत खराब माना जाता है। छात्रों की एक बड़ी संख्या सुविधाओं की कमी और बेहतर विकल्पों की तलाश में राज्य से बाहर जाती है। कॉलेजों की संख्या और प्रति कॉलेज छात्रों का औसत नामांकन भी राष्ट्रीय औसत से कम है।
हाल की रिपोर्टों के अनुसार, बिहार में छात्र-शिक्षक अनुपात में सुधार हुआ है। राज्य में छात्र-शिक्षक अनुपात 65:1 से घटकर 32:1 हो गया है। बिहार का छात्र-शिक्षक अनुपात अब राष्ट्रीय औसत से भी बेहतर है, जिसमें राज्य के स्कूलों में 28 छात्रों पर एक शिक्षक है। हालांकि, यह भी बताया गया है कि 14,000 से अधिक स्कूलों में एक शिक्षक पर 40 से अधिक छात्र हैं। यह असमान वितरण का संकेत देता है।

Comments
Post a Comment