भारत की आर्थिक वृद्धि दर और सामाजिक विकास पर एक रिपोर्ट! -प्रो प्रसिद्ध कुमार, अर्थशास्त्र विभाग।
भारत की जीडीपी वृद्धि दर
भारत की अर्थव्यवस्था ने हाल के वर्षों में मजबूत वृद्धि दिखाई है। वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में भारत की जीडीपी में 7.8% की वृद्धि दर्ज की गई। यह वृद्धि दर पिछले वित्त वर्ष की इसी तिमाही की 6.5% की वृद्धि से काफी अधिक है। विभिन्न एजेंसियों ने भी भारत के लिए सकारात्मक वृद्धि का अनुमान लगाया है। भारतीय रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए 6.5% की वृद्धि का अनुमान लगाया है।
विकास दर लक्ष्य
भारत सरकार ने 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य रखा है, जिसके लिए अर्थव्यवस्था को $30 ट्रिलियन तक पहुंचाना होगा। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए भारत को लगातार 8% की आर्थिक वृद्धि दर बनाए रखने की आवश्यकता है। वर्तमान वृद्धि दर इस लक्ष्य के करीब है, लेकिन इसे बनाए रखना एक चुनौती है।
शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के क्षेत्र में उपलब्धियां और चुनौतियां
भारत ने शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के क्षेत्रों में महत्वपूर्ण प्रगति की है, लेकिन कई चुनौतियां भी अभी मौजूद हैं।
शिक्षा
उपलब्धियां:
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारत में स्कूली शिक्षा प्रणाली 14.72 लाख विद्यालयों में 24.8 करोड़ छात्रों को शिक्षा प्रदान करती है।
शिक्षार्थी-शिक्षक अनुपात (PTR) में सुधार हुआ है, जो 2009-10 में 43 छात्रों से घटकर 2015-16 में 25.7 छात्रों तक पहुंच गया है।
चुनौतियां:
गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की उपलब्धता अभी भी एक बड़ी चुनौती है, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में।
शिक्षा पर खर्च ब्रिक देशों (ब्राजील, रूस, भारत, चीन) में सबसे कम है, जो गुणवत्ता को प्रभावित करता है।
शिक्षण विधियों में सुधार और डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
स्वास्थ्य
उपलब्धियां:
स्वास्थ्य क्षेत्र ने महत्वपूर्ण सुधार दिखाए हैं। 2023-24 में मातृ मृत्यु दर प्रति 1,00,000 जीवित जन्मों पर 97 हो गई है, और 5 वर्ष से कम आयु के शिशु मृत्यु दर में भी कमी आई है।
स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र भारत में सबसे बड़े नियोक्ताओं में से एक है, जिसमें 4.7 मिलियन लोग कार्यरत हैं।
चुनौतियां:
ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सा अवसंरचना की कमी एक बड़ी समस्या है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रोफाइल के अनुसार, भारत में प्रति 1,000 जनसंख्या पर केवल 0.9 अस्पताल बेड उपलब्ध हैं।
मानसिक स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों की संख्या अपर्याप्त है।
सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं में निवेश बढ़ाने की आवश्यकता है।
रोजगार
उपलब्धियां:
भारत की युवा आबादी आर्थिक विकास के लिए एक बड़ा अवसर प्रदान करती है।
सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षुता प्रशिक्षण योजना (NATS) जैसी पहल की है, जो युवाओं को व्यावसायिक अनुभव प्रदान करती है।
चुनौतियां:
युवा आबादी के बावजूद, पर्याप्त रोजगार सृजन एक चुनौती बनी हुई है।
औपचारिक रोजगार के अवसर कम हैं, और अधिकांश कार्यबल अनौपचारिक क्षेत्र में कार्यरत है।
नौकरियों की गुणवत्ता और मजदूरी में सुधार की आवश्यकता है।
महिलाओं के लिए रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देना आवश्यक है, क्योंकि कई स्थानों पर महिलाएं घर से बाहर काम करने के लिए हतोत्साहित होती हैं।
भारत ने अपनी आर्थिक वृद्धि को गति दी है और सामाजिक क्षेत्रों में भी प्रगति की है, लेकिन ये उपलब्धियां अभी भी वांछित लक्ष्यों से पीछे हैं। विशेष रूप से, शिक्षा और स्वास्थ्य में निवेश बढ़ाना, ग्रामीण-शहरी असमानताओं को कम करना, और गुणवत्तापूर्ण रोजगार के अवसर पैदा करना भारत के सतत और समावेशी विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं।

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