भारतीय चुनाव आयोग: चुनौतियाँ और आलोचना!- प्रो प्रसिद्ध कुमार।
आज देश की प्रतिष्ठित व निर्भीक the Hindu अंग्रेजी अखबार मेंभी आज Ec को आड़े हाथों लिया है।
जब संवैधानिक संस्थाएं सरकार की गिरफ्त में हो , उस देश की व्यवस्था का हाल क्या होगा ?
भारतीय चुनाव आयोग को भारत में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई है, लेकिन हाल के घटनाक्रमों ने इसकी कार्यप्रणाली पर कई सवाल खड़े किए हैं।
मतदाता सूची में गड़बड़ी
चुनाव आयोग की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक मतदाता सूचियों में कथित गड़बड़ी है। बिहार विधानसभा चुनाव के संदर्भ में, विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया कि मतदाता सूची में कई 'गोस्ट' वोटर्स हैं, यानी ऐसे मतदाता जिनका कोई अस्तित्व नहीं है। यह दावा किया गया कि 65 लाख से अधिक मतदाताओं के नाम गायब थे, जबकि 8.07 लाख 'मिसिंग' मतदाता पाए गए। सुप्रीम कोर्ट ने भी एक मामले की सुनवाई में चुनाव आयोग से मतदाता सूचियों में सुधार और दोहरी प्रविष्टियों को हटाने के लिए ठोस कदम उठाने को कहा था।
प्रवासन (Migration) और दोहरी प्रविष्टियाँ
प्रवासी मतदाताओं की समस्या भी एक गंभीर चुनौती है। चुनाव आयोग के अनुसार, प्रवासी मतदाताओं के लिए कोई समाधान नहीं है, लेकिन वे स्वयं ही अपने राज्यों में वापस जाने के लिए समाधान खोज रहे हैं। यह एक जटिल मुद्दा है क्योंकि प्रवासन के कारण कई मतदाताओं के नाम एक से अधिक स्थानों पर पंजीकृत हो जाते हैं, जिससे दोहरी मतदान की संभावना बढ़ जाती है। चुनाव आयोग को इस समस्या का समाधान ढूंढना होगा, ताकि हर नागरिक अपने मताधिकार का उपयोग कर सके।
राजनीतिक दबाव और ECI की स्वायत्तता
विपक्ष अक्सर चुनाव आयोग पर सत्ताधारी दल के दबाव में काम करने का आरोप लगाता है। इस आरोप का एक उदाहरण तब सामने आया जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी और अन्य विपक्षी नेताओं ने मतदाता सूची में गड़बड़ी को लेकर चुनाव आयोग के कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। ये आरोप चुनाव आयोग की स्वायत्तता पर सवाल खड़े करते हैं, जो लोकतंत्र के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। चुनाव आयोग को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वह किसी भी राजनीतिक दबाव से मुक्त होकर काम करे, ताकि उसकी विश्वसनीयता बनी रहे।
राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप
चुनाव आयोग को अक्सर राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सामना करना पड़ता है। चाहे वह कांग्रेस का भाजपा पर मतदाताओं को गुमराह करने का आरोप हो या भाजपा का कांग्रेस पर आरोप, चुनाव आयोग को इन आरोपों का निष्पक्ष मूल्यांकन करना होता है। हाल ही में, राहुल गांधी और अन्य विपक्षी नेताओं को चुनाव आयोग की आलोचना करने के लिए दिल्ली में विरोध मार्च के दौरान हिरासत में लिया गया था, जिसने इस मुद्दे को और भी विवादास्पद बना दिया।
चुनाव आयोग एक महत्वपूर्ण संवैधानिक निकाय है, लेकिन इसकी विश्वसनीयता और कार्यप्रणाली पर उठ रहे सवालों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। मतदाता सूचियों में सुधार, दोहरी प्रविष्टियों को हटाना, प्रवासी मतदाताओं की समस्या का समाधान करना, और राजनीतिक दबाव से मुक्त होकर काम करना जैसी चुनौतियों का सामना करना आवश्यक है। चुनाव आयोग को अपनी स्वायत्तता बनाए रखने और जनता का विश्वास जीतने के लिए पारदर्शिता और जवाबदेही के साथ काम करना होगा।

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