अंतरात्मा का सुकून: जब सही और गलत के पैमाने टूटने लगें !प्रो प्रसिद्ध कुमार।
यह मेरा फेवरेट ब्लॉग है।आप भी जरूर पढ़ें।
(Inner Peace: When the Scales of Right and Wrong Begin to Break)
क्या कभी आपके मन में यह सवाल आया है कि आज के दौर में 'सही' क्या है और 'गलत' क्या?
हम एक ऐसे युग में जी रहे हैं, जहाँ जीवन के नियम, जो कल तक अटल माने जाते थे, आज धुँधले पड़ रहे हैं। जिस कसौटी पर हम सच्चाई को परखते थे—यानी, हमारे सदियों पुराने नैतिक और सामाजिक मूल्य—वो अब खोटी सिद्ध होने लगी है। चारों ओर शोर है, उलझन है, और हर तरफ विरोधाभास हैं।
यह स्थिति किसी को भी बेचैन कर सकती है।
जब दुनिया के नियम स्पष्ट नहीं रहते, जब हर निर्णय पर सवालिया निशान लगता है, तो इंसान सुकून की तलाश में कहाँ जाए? क्या करे? बाहर की दुनिया में उत्तर खोजना तो और भी मुश्किल है।
"इस संदर्भ में सोचते और विचारते हुए संसार की वास्तविक स्थिति का आकलन करना आसान नहीं है।"
यह पंक्ति सचमुच हमारे भीतर उतरती है। हम चारों ओर की जटिलताओं को सुलझाने में ही इतना समय लगा देते हैं कि अपने आप से दूर हो जाते हैं।
बाहरी हल नहीं, भीतरी जवाब
जब संसार की कसौटी टूट जाए, तब हमें एक ही जगह लौटना होता है: अपनी अंतरात्मा के पास।
सही और गलत के बाहरी पैमाने टूट सकते हैं, लेकिन हमारे भीतर की एक आवाज़ है जो हमेशा सही मार्गदर्शन करती है। वह आवाज़ है हमारी अंतरात्मा (Conscience)। यह वो शांत, छोटी सी लौ है जो सबसे बड़े तूफ़ान में भी जलती रहती है।
अंतरात्मा का सुकून क्या है?
यह कोई भौतिक वस्तु नहीं है। यह किसी की स्वीकृति या बाहरी सफलता से नहीं मिलता।
यह है:
ईमानदारी: जब आपके कार्य और आपके शब्द आपके मूल्यों के साथ मेल खाते हैं।
करुणा: जब आप दूसरों के प्रति दया और समझ रखते हैं।
स्वीकार्यता: जब आप उन चीजों को स्वीकार करते हैं जिन्हें आप बदल नहीं सकते और उन पर काम करते हैं जिन्हें आप बदल सकते हैं।
निडरता: जब आप भीड़ की राय के बजाय अपनी नैतिक सच्चाई के साथ खड़े होते हैं।
शुरुआत कहाँ से करें?
इस उलझन भरी दुनिया में, अंतरात्मा के सुकून को खोजने के लिए इन तीन सरल कदमों को अपनाएँ:
खुद को समय दें (Quiet Time): हर दिन कुछ पल ऐसे बिताएँ जहाँ कोई सोशल मीडिया, कोई समाचार, कोई बाहरी शोर न हो। केवल आप और आपकी साँसें। इसी चुप्पी में आपकी अंतरात्मा आपसे बात करेगी।
प्रश्न पूछें, निर्णय नहीं: जब किसी दुविधा में हों, तो पूछें, "यह करने से मेरे मन को शांति मिलेगी या अशांति?" परिणाम सही होगा या गलत, इसकी चिंता न करें—केवल अपने मन की अवस्था पर ध्यान दें।
छोटे काम, बड़ा सुकून: हर दिन कोई ऐसा छोटा काम करें जो सिर्फ आपकी आत्मा को अच्छा लगे—किसी की चुपचाप मदद करना, प्रकृति के बीच बैठना, या किसी पुराने शौक को पुनर्जीवित करना। ये छोटे पल ही बड़े सुकून की नींव हैं।
याद रखें, जब दुनिया की दिशा-सूचक यंत्र काम करना बंद कर दें, तो आप अपने हृदय को अपना नया कम्पास बना सकते हैं।
बाहर कितना भी अँधेरा क्यों न हो, अपनी अंतरात्मा की रोशनी को जलने दें। यही वह एकमात्र सत्य है जो कभी खोटा साबित नहीं होगा।

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