बस यही अपराध मैं हर बार करता हूँ आदमी हूँ आदमी से प्यार करता हूँ
1970 बनी 'पहचान ' फ़िल्म की यह गीत आज सबसे ज्यादा समसामयिक बन गया है। इसके गीतकार नीरज ,संगीत जयकिशन की ,कर्णप्रिय है।
एक खिलौना बन गया दुनिया के मेले में
कोई खेला भीड़ में कोई अकेले में
मित्रता करना हर स्वीकारोक्ति है
आदमी हूं आदमी से प्यार करता हूं...
मैं बसाना चाहता हूँ स्वर्ग धरती पर
आदमी जिस में रह रहा है बस आदमी बनकर
उस नगर की हर गली तय करता हूँ
आदमी हूं आदमी से प्यार करता हूं...
मैं बहुत नादान करता हूं ये नादानी
बेच कर खुशियाँ खरीदूँ आँख का पानी
हाथ खाली हैं मगर व्यापार करता हूँ
आदमी हूं आदमी से प्यार करता हूं...

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