देश में आय असमानता की विकट स्थिति ! -प्रो प्रसिद्ध कुमार ,अर्थशास्त्र विभाग।

   


 देश में 1% के पास कुल संपत्ति का 40.1% हिस्सा है। 

 सबका साथ, सबका विकास का नमूना।

भारत में आर्थिक असमानता गंभीर चिंता का विषय बनी हुई है।

संपत्ति का संकेन्द्रण: वर्ल्ड इनइक्वलिटी लैब की एक रिपोर्ट (2022-23) के अनुसार, भारत की शीर्ष 1% आबादी के पास देश की कुल आय का 22.6% हिस्सा है, जो 1922 के बाद का उच्चतम स्तर है। इसी शीर्ष 1% के पास कुल संपत्ति का 40.1% हिस्सा है।

गरीबी और अभाव: ऑक्सफैम की रिपोर्ट बताती है कि भारत की एक फीसदी आबादी के पास देश की 40 फीसदी संपत्ति है। यह बढ़ती असमानता दर्शाती है कि आर्थिक विकास का लाभ समान रूप से वितरित नहीं हो रहा है। इसके अलावा, स्वास्थ्य देखभाल लागत के कारण हर साल लाखों लोग गरीबी की ओर धकेल दिए जाते हैं।

सकारात्मक संकेत (एसबीआई रिपोर्ट): एक अन्य दृष्टिकोण (एसबीआई रिपोर्ट) यह भी है कि ₹5 लाख तक की सालाना आमदनी वाले लोगों के लिए आय असमानता (कवरेज में) में वित्त वर्ष 2013-14 और 2022-23 के बीच 74.2% तक की कमी आई है। यह निम्न आय वर्ग तक सरकारी प्रयासों के पहुंचने का संकेत देता है।



वैश्विक तुलना में कम प्रति व्यक्ति आय


भारत दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, लेकिन आबादी के बड़े आकार के कारण इसकी प्रति व्यक्ति आय वैश्विक मानकों पर काफी कम है।

तुलनात्मक आँकड़े: भारत की प्रति व्यक्ति आय लगभग $2,600 से $2,673 (विभिन्न स्रोतों के अनुसार) है। इसकी तुलना में:

अमेरिका: लगभग $80,035 (भारत से लगभग 31 गुना अधिक)।

चीन: लगभग $13,000 (भारत से लगभग 5 गुना अधिक)।

कई रिपोर्टों के अनुसार, भारत प्रति व्यक्ति आय के मामले में बांग्लादेश और श्रीलंका जैसे पड़ोसी देशों से भी पीछे है, और यह वैश्विक सूची में 129वें स्थान पर है।

समस्या: कम प्रति व्यक्ति आय, उच्च असमानता के साथ मिलकर, यह दर्शाती है कि एक औसत भारतीय नागरिक की क्रय शक्ति और जीवन स्तर विकसित देशों की तुलना में काफी कम है। यह एक गंभीर आर्थिक-सामाजिक चुनौती है, जिसे संबोधित करने के लिए सामाजिक सुरक्षा और कर सुधार जैसे कदमों की आवश्यकता है, जैसा कि आपके साझा आलेख में कहा गया है।

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