दीघा में नागरिक संवाद: तुषार गांधी और डॉ. सुनीलम ने इंडिया गठबंधन की जीत की अपील की !
"यह चुनाव भारत के भविष्य की राह तय करेगा": बुद्धिजीवियों ने दिव्या गौतम के समर्थन में उठाई आवाज़
पटना के डॉक्टर अंबेडकर भवन में दीघा विधानसभा क्षेत्र से महागठबंधन समर्थित उम्मीदवार दिव्या गौतम के समर्थन में एक महत्वपूर्ण नागरिक संवाद का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में महात्मा गांधी के प्रपौत्र और देश के जाने-माने बुद्धिजीवी तुषार गांधी तथा किसान आंदोलन के नेता डॉ. सुनीलम ने शिरकत की और इंडिया गठबंधन को जीत दिलाने की पुरजोर अपील की। उनके साथ शाहिद कमाल, एमएलसी शशि यादव और प्रत्याशी दिव्या गौतम ने भी अपने विचार साझा किए। AIPF की ओर से आयोजित इस संवाद का संचालन कमलेश शर्मा ने किया, जिसकी अध्यक्षता सरफराज और पंकज श्वेताभ ने की। इस मौके पर शहर के कई बुद्धिजीवी उपस्थित थे।
तुषार गांधी ने विकास के दावों पर सवाल उठाए
तुषार गांधी ने बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों के अपने अनुभव साझा करते हुए सत्ताधारी नेताओं पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, "मैंने बिहार के गांवों में जो हालत देखी — विकास के पोस्टर चमकते हैं पर ज़मीनी हकीकत अलग है। बिजली नहीं, सड़क नहीं, जब कोसी की बाढ़ आती है तो गांव बार-बार स्थान बदलते हैं। बच्चों को स्कूल के लिए रोजाना 4-4 घंटे चलना पड़ता है। ऐसे विकास के दावों पर नेताओं को शर्म आनी चाहिए।"
उन्होंने इस चुनाव को सिर्फ बिहार का नहीं, बल्कि पूरे देश का भविष्य तय करने वाला बताया। उन्होंने कहा, "यह चुनाव सिर्फ बिहार के लिए नहीं—यह तय करेगा कि पूरा भारत किस राह पर जाएगा: महात्मा गांधी की राह पर या नफरत और विभाजन की राह पर।" उन्होंने दिव्या गौतम की उम्मीदवारी को "बेघर की बेटी" का उदाहरण बताते हुए उन्हें जिताने की जिम्मेदारी नागरिकों पर डाली। तुषार गांधी ने चुनावों में चोरी, निर्वाचन आयोग की निष्क्रियता और शिक्षण संस्थानों (जैसे TISS, JNU, Xavier’s) में छात्रों के दमन पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने नागरिकों से दिव्या को जिताकर "बापू के रास्ते पर चलने" और "क्रांति यहीं से शुरू" करने का आह्वान किया।
दिव्या गौतम ने दबे-कुचले वर्गों की आवाज़ बनने का संकल्प लिया
दीघा प्रत्याशी दिव्या गौतम ने अपने आप को तमाम पीड़ित और वंचित लोगों की आवाज़ बताया। उन्होंने कहा कि वह उन लोगों के लिए चुनावी मैदान में उतरी हैं जो बिना ट्रायल के वर्षों से जेलों में बंद हैं; जो महिलाएं कर्ज के बोझ से आत्महत्या कर रही हैं; लाखों-करोड़ों छात्र-युवा जिनके सपनों को कुचला जा रहा है और जिन्हें रोज़गार मांगने पर लाठियों से पीटा जाता है।
दिव्या गौतम ने उत्पीड़ितों की आवाज़ बनने का संकल्प लिया, जो रोज़ बुलडोजर की मार झेलते हैं और जिनकी रोजी-रोटी पर हमले हो रहे हैं। उन्होंने ध्वस्त होती शिक्षा व्यवस्था के खिलाफ बेहतर शिक्षा की उम्मीद को आगे बढ़ाने तथा शिक्षकों, कर्मचारियों और संविदा कर्मियों पर हुए दमन के खिलाफ खड़ा होने का वादा किया। उन्होंने युवाओं से "हिंसा फैलाने वाली, युवा-विरोधी सरकार के खिलाफ हमें खड़ा होना है" कहते हुए एकजुट होने की अपील की।
डॉ. सुनीलम ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हो रहे हमलों की निंदा की
किसान आंदोलन के नेता डॉ. सुनीलम ने इस चुनाव को वर्तमान परिदृश्य में अत्यंत महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने चिंता व्यक्त की कि "अब पत्रकार, सिविल सोसाइटी के लोग, छात्र और सोचने वाले नागरिकों पर हमला हो रहा है।" उन्होंने कहा कि आवाज़ उठाने वालों को जेल में डाला जा रहा है और डर से चुप कराया जा रहा है, यहाँ तक कि शिक्षकों को भी बोलने से डर लगता है।
उन्होंने बिहार में पलायन की गंभीर समस्या पर भी ध्यान केंद्रित किया, जिसे कोविड-19 के दौरान लाखों लोगों के वापस लौटने से देखा गया। डॉ. सुनीलम ने कहा कि गोदी मीडिया और उनके पीआर स्पोक्सपर्सन द्वारा फैलाए जा रहे हेजेमोनिक प्रोपगैंडा (Hegemonic Propaganda) के खिलाफ नागरिकों को उठना होगा, क्योंकि पत्रकार और सिविल सोसाइटी जैसे लोगों को दबाया जा रहा है।

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