2025 के बढ़े हुए मतदान का संभावित प्रभाव !-प्रो प्रसिद्ध कुमार।
पहले चरण में 31 लाख से अधिक वोटों की वृद्धि (और संभवतः दोनों चरणों में 63 लाख अधिक वोट पड़ने का आसार) यह दर्शाता है कि लगभग 13-15% अतिरिक्त मतदाता पोलिंग बूथ तक पहुँचे हैं।
1. सीटों पर प्रभाव: जीत का अंतर कम होना
बिहार में कई विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहाँ जीत का अंतर 1,000 से 5,000 वोटों के बीच होता है।
बढ़े हुए वोट (63 लाख), जब सीटों पर समान रूप से वितरित होते हैं, तो वे मौजूदा जीत के अंतर को बदलने की क्षमता रखते हैं।
यह वृद्धि उन सीटों पर निर्णायक हो सकती है जहाँ 2020 में जीत का अंतर बहुत कम था, जो किसी भी गठबंधन के पक्ष में एक बड़ा बदलाव ला सकती है।
अधिक मतदान का अर्थ है कि पार्टियों के कोर वोटर के अलावा निर्णायक मतदाता (Floating Voters) या नए/युवा मतदाता भी बड़ी संख्या में बाहर आए हैं।
2. राजनीतिक दलों पर संभावित प्रभाव
परंपरागत रूप से, बिहार में उच्च मतदान को सत्ता विरोधी लहर (Anti-Incumbency) से जोड़ा जाता रहा है, लेकिन यह हमेशा सत्य नहीं होता।
A. राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन पर प्रभाव:
लाभ की संभावना: यदि यह बढ़ा हुआ मतदान महिला मतदाताओं (नीतीश कुमार की योजनाओं की लाभार्थी) या विकास समर्थक मतदाताओं के कारण हुआ है, तो यह NDA के पक्ष में जा सकता है। 2024 लोकसभा का 45.5% वोट शेयर NDA की ताकत दिखाता है।
चुनौती: यदि उच्च मतदान बेरोजगारी, महंगाई या सत्ता विरोधी लहर से प्रेरित है, तो यह मौजूदा सरकार के लिए खतरा हो सकता है।
B. INDIA गठबंधन (महागठबंधन) पर प्रभाव:
लाभ की संभावना: यदि यह वृद्धि युवाओं (रोजगार के मुद्दे पर) और अत्यंत पिछड़े वर्ग (EBC) तथा अति दलित समुदायों (बदलाव की चाहत) के मतदाताओं से आई है, तो यह INDIA गठबंधन के लिए बड़ा सकारात्मक संकेत हो सकता है। महागठबंधन का 2020 में NDA के बराबर वोट शेयर (37.23%) यह दर्शाता है कि उसका अपना मजबूत आधार है।
चुनौती: लोकसभा 2024 में कम वोट शेयर (36.75%) इस बात की ओर इशारा करता है कि वोटों का ध्रुवीकरण NDA के पक्ष में हो सकता है, जिससे उच्च मतदान के बावजूद भी सीटों में बड़ी वृद्धि न हो।
C. अन्य दलों/निर्दलियों पर प्रभाव:
अगर जन सुराज या अन्य छोटे दल/निर्दलीय उम्मीदवार 3-4% वोट भी हासिल करते हैं, तो उच्च मतदान और अधिक वोट के माहौल में वे कई सीटों पर किसी भी बड़े गठबंधन का खेल बिगाड़ सकते हैं (Spoilers' Effect)।
अनिश्चितता का बढ़ा हुआ दौर
बिहार में 2025 का बढ़ा हुआ मतदान एक द्वि-चरणीय तलवार की तरह है।
बदलाव का संकेत: यह मतदाताओं की उस मजबूत इच्छाशक्ति को दर्शाता है, जो 2020 और 2024 के चुनाव में हुए मतदान से अधिक है। यह बदलाव की इच्छा भी हो सकती है।
लोकतांत्रिक परिपक्वता: यह चुनाव आयोग के प्रयासों और मतदाताओं में बढ़ती जागरूकता का परिणाम भी हो सकता है।
बिहार 2020 विधानसभा और 2024 लोकसभा चुनाव के चुनावी आँकड़े:
बिहार के 2020 विधानसभा चुनाव में, एनडीए (NDA) को 125 सीटें, लगभग 37.26% वोट शेयर और करीब 1 करोड़ 56 लाख 12 हजार वोट मिले थे, जबकि महागठबंधन (MGB) को 110 सीटें, लगभग 37.23% वोट शेयर और करीब 1 करोड़ 56 लाख 1 हजार वोट मिले थे। वहीं 2024 के लोकसभा चुनाव में, एनडीए (NDA) को 30 सीटें, लगभग 45.5% वोट शेयर और 1 करोड़ 89 लाख 61 हजार वोट मिले, जबकि इंडिया गठबंधन को 9 सीटें, लगभग 36.75% वोट शेयर और 1 करोड़ 53 लाख 10 हजार वोट मिले थे।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण में (121 सीटों पर) 65.08% (अंतिम आँकड़ा) मतदान हुआ है।
यह वृद्धि बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के पहले चरण के मुकाबले लगभग 8% से 8.98% के बीच है।
2025 का पहला चरण मतदान: 65.08% (अंतिम आँकड़ा)
2020 का पहला चरण मतदान: 57.29%
वृद्धि: लगभग 7.79% या लगभग 8.85% से 8.98% (अन्य
एक रिपोर्ट के अनुसार, 2020 की तुलना में 2025 के पहले चरण वाली इन्हीं सीटों पर 31 लाख से अधिक वोट अधिक पड़े हैं।

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