कला: जीवन का परिष्कार! (Art: The Refinement of Life!)

    



कला हमारे जीवन को बेहतर, सुंदर और अधिक उत्कृष्ट बनाती है।

आंतरिक उद्गम और जीवन की समृद्धि !

​संभव है कि कला के माध्यम से हर इंसान के जीवन की आर्थिक स्थिति मज़बूत न हो सके, पर यह भी निश्चित है कि कलात्मक सोच हमारे जीवन को हर परिस्थिति में निखार देती है।

​यह सत्य है कि कला केवल मनोरंजन या बाज़ार की वस्तु नहीं है, बल्कि यह मानव जीवन के आंतरिक परिष्कार का एक सशक्त माध्यम है। कला की शक्ति किसी व्यक्ति को भौतिक लाभ पहुँचाने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका प्रभाव मनुष्य की चेतना और उसकी जीवन-दृष्टि पर पड़ता है।

​कला का उद्गम कैनवास, मंच, अथवा कागज़ पर उकेरने से कहीं पहले हमारे मन और विचारों में होता है। यह भीतर से जन्म लेती है और फिर विभिन्न रूपों में अभिव्यक्त होती है। यह कलात्मक दृष्टि ही है जो हमें चुनौतियों के बीच भी सौंदर्य और संतुलन खोजने में सक्षम बनाती है, हमारे जीवन को एक नई आभा और अर्थ प्रदान करती है। यह केवल एक क्रिया नहीं, अपितु जीवन जीने की एक सभ्य और अलंकृत शैली है।

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