सजगता का संदेश: लोकतंत्र में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी !
चुनावी रण में महिला शक्ति का अभूतपूर्व प्रदर्शन !
इस विधानसभा चुनाव में अब तक का सर्वाधिक मतदान हुआ है, और इसकी सबसे सुखद तस्वीर महिलाओं की है। लोकतंत्र के इस महत्वपूर्ण पर्व में महिला मतदाताओं की बढ़-चढ़कर भागीदारी केवल उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति को ही नहीं दर्शाती, बल्कि यह समाज में जागरूकता का एक सशक्त संदेश भी है। राज्य की महिलाओं ने यह साबित कर दिया है कि वे तमाम व्यस्तताओं के बावजूद, लोकतांत्रिक व्यवस्था में अपने अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति पूरी तरह से सजग हैं। मतदान के आँकड़े दे रहे गवाही यह सजगता चुनावी इतिहास में अब तक के महिला मतदान के आँकड़ों में स्पष्ट दिखाई देती है। चुनाव आयोग के अनुसार: पहले चरण में 61.56 प्रतिशत पुरुषों के मुकाबले 69.04 प्रतिशत महिलाओं ने मतदान किया। दूसरे चरण में 64.01 प्रतिशत पुरुषों के मुकाबले महिलाओं का मतदान 74.03 प्रतिशत रहा। यह प्रदर्शन राज्य और राष्ट्र निर्माण में महिलाओं की सशक्त होती भूमिका को रेखांकित करता है। दायरा अब घर की दहलीज तक सीमित नहीं बिहार में महिलाएं कई स्तरों पर जागरूक हो रही हैं। उनका दायरा अब केवल घरों तक सीमित नहीं रहा। मतदान में उनका उत्साह इस बात का प्रमाण है कि वे देश और राज्य की समस्याओं से अवगत हैं और उन्हें दूर करने में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करना चाहती हैं। इस सजगता को इस रूप में भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है कि महिलाएं अब अपनी अहमियत को जानने और समझने लगी हैं। निर्णय लेने की प्रक्रिया में बराबरी की मांग हालांकि, महिला मतदान प्रतिशत बढ़ने के पीछे पुरुषों का रोजगार के लिए दूसरे राज्यों में पलायन भी एक कारक हो सकता है, लेकिन यह सच है कि महिलाएं अब सरकार चुनने के निर्णय में बराबर की भागीदार बनना चाहती हैं। बिहार की महिलाओं ने इस चुनाव में बढ़-चढ़कर भाग लेकर जो मिसाल पेश की है, वह पूरे देश के लिए एक बड़ा संदेश है। यह दर्शाता है कि सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक मोर्चे पर भी महिलाएं अपना कौशल दिखाने को तैयार हैं। निष्कर्ष: हमें उनकी इस इच्छाशक्ति को समझने और उन्हें उचित सम्मान देने की आवश्यकता है। महिलाओं की यह भागीदारी एक स्वस्थ और मजबूत लोकतंत्र के लिए नींव का काम करेगी।

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