अवधेश प्रीत: सूत्रधार की धड़कन, साहित्य का ओज!-प्रो प्रसिद्ध कुमार।😢😢

   


​खगौल के रंगकर्मी हुए ग़मगीन; एक मार्गदर्शक, एक आत्मीय दोस्त का बिछुड़ना!

​खगौल। साहित्य और रंगमंच के मर्मज्ञ, चर्चित कथाकार और पत्रकार अवधेश प्रीत के अचानक निधन से बृहस्पतिवार को खगौल की नाट्य संस्था 'सूत्रधार' से जुड़े रंगकर्मियों और साहित्य जगत में गहरा शोक व्याप्त हो गया। गुरुवार को सूत्रधार ने अपने सबसे प्रिय साथी को नम आँखों से याद किया, जिसकी भौतिक अनुपस्थिति ने एक गहरे शून्य को जन्म दिया है।

​सूत्रधार के महासचिव नवाब आलम उन्हें याद करते हुए अत्यंत ग़मगीन हो उठे। उन्होंने कहा कि अवधेश जी का निधन हृदय विदारक है। "उनके जाने से जो रिक्तता उत्पन्न हुई है, वह केवल साहित्य के पन्नों तक सीमित नहीं है। खगौल और सूत्रधार नाट्य संस्था से उनका संबंध इतना गहरा और आत्मीय रहा है कि उनकी अनुपस्थिति वहाँ के हर कलाकार और कला प्रेमी को कचोटेगी।"

​सूत्रधार' की जान और धड़कन

​नवाब आलम ने अपने दशकों पुराने साथ को याद करते हुए कहा कि अवधेश प्रीत शुरुआती दिनों में 'सूत्रधार' नाट्य संस्था की जान थे, उसकी धड़कन थे।

​"उनके साथ काम करना, उनके व्यक्तित्व को करीब से जानना बहुत सुखद रहा। सूत्रधार की स्मारिका में उनका आलेख छपना संस्था के प्रति उनके गहरे समर्पण को दर्शाता है। कुशाग्र बुद्धि और विनम्र स्वभाव का यह संगम उन्हें विलक्षण बनाता था। नाटकों के प्रति उनका उत्साह, मंच पर उनका साथ और सम्मान साझा करने के क्षण—ये सभी अमूल्य स्मृतियाँ हैं।"

​करियर के कारण उन्हें  खगौल से पटना जाना पड़ा, पर 'सूत्रधार' की डोर उन्होंने कभी नहीं छोड़ी, जो उनके अटूट जुड़ाव का प्रमाण है।

​सामाजिक विमर्श को नई दिशा देने वाले

​अवधेश प्रीत जी ने अपनी लेखनी से सामाजिक विमर्श को एक नई दिशा दी। उनके शब्द न केवल कहानियाँ कहते थे, बल्कि जीवन के गूढ़ सत्यों को भी बड़ी सहजता से उद्घाटित करते थे। उनका जाना एक ऐसे मार्गदर्शक का बिछुड़ना है, जिसकी छाया में कई युवा रचनाकार पल्लवित हुए।

​आज जब उनकी भौतिक उपस्थिति हमारे बीच नहीं है, तब उनकी रचनाएँ, उनके विचार और 'सूत्रधार' संस्था के साथ बिताए गए उनके अनमोल पल ही सभी को संबल देंगे। यह तय है कि उनकी स्मृति, संस्था के हर नाटक, हर रिहर्सल और हर मंचन में सदैव गूँजती रहेगी।

​वरिष्ठ साहित्यकार प्रोफेसर प्रसिद्ध यादव ने अवधेश प्रीत को एक ओजस्वी साहित्यकार बताया, जिसने हिंदी साहित्य की क्षितिज पर अपनी कथाओं और उपन्यासों से एक विशिष्ट पहचान बनाई। उनके निधन को साहित्य जगत के लिए एक अवसान बताया गया।

​शोक व्यक्त करने वालों में वरिष्ठ रंगकर्मी निर्देशक मो सरूर अली अंसारी, कवि मोइन गिरिडीहवी, अशोक कुणाल, विकास कुमार पप्पू, विनोद शंकर मिश्र, रूपेश कुमार, उदय कुमार, अरुण सिंह पिंटू, अस्तानंद सिंह, शोएब कुरैशी, मो सदीक, सज्जाद आलम, सऊद आलम और जीशान आलम आदि शामिल हैं।

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