संवाद: जड़ता तोड़ने वाला और साझा समझ बनाने वाला सेतु !
विमर्श की सुंदरता: जब संवाद विचारों के विवाद को पीछे छोड़ देता है !
आज के समय में, जब समाज और राजनीति में संवाद के स्थान पर विचारधारागत विवाद ने अपनी पैठ बना ली है, तब यह आवश्यक हो जाता है कि हम संवाद के महत्व को पुनः स्थापित करें।
संवाद केवल बात करना नहीं है; यह समझने की कला है। यह किसी विषय पर भिन्न मतों, भावनाओं और दृष्टिकोणों के बीच एक रचनात्मक पुल बनाने का कार्य करता है।
संवाद की महत्ता को निम्नलिखित बिंदुओं से समझा जा सकता है:
जड़ता का भंजन: संवाद रूढ़िवादिता और स्थापित, अपरिवर्तनीय सोच की जड़ता को तोड़ता है। जब लोग अपने विचारों को खुलकर साझा करते हैं और दूसरों के विचारों को सुनते हैं, तो नई संभावनाओं और समाधानों के लिए रास्ता खुलता है।
समस्या को 'साझा सरोकार' बनाना: विवाद किसी समस्या को 'मेरा बनाम तुम्हारा' बना देता है, जबकि संवाद इसे 'हमारा सरोकार' बनाता है। यह लोगों को समाधान की दिशा में एक साझा स्वामित्व और जिम्मेदारी का अहसास कराता है।
सहानुभूति का विकास: एक अच्छा संवाद वक्ता और श्रोता, दोनों को एक-दूसरे के जूते में खड़े होने का मौका देता है। यह वैचारिक दूरी को कम कर सहानुभूति को बढ़ावा देता है।
रचनात्मकता और नवाचार: साहित्य, कला और विज्ञान, हर क्षेत्र में, विचारों के मुक्त आदान-प्रदान और स्वस्थ संवाद से ही नए सिद्धांतों और नवाचारों का जन्म होता है।

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