जल ही जीवन है: शुद्धता, प्रदूषण और स्वास्थ्य !
शुद्ध जल वह है जिसका pH मान 7.0 के करीब हो, जिसका घनत्व लगभग 1000 \, kg/m^3 हो, और जो रोगजनक जीवाणुओं से मुक्त हो। पीने योग्य जल का pH 6.5 से 8.5 के बीच होना चाहिए।
गंगोत्री का जल शुरुआती बिंदु पर अत्यधिक शुद्ध माना जाता है क्योंकि इसमें ऑक्सीजन सोखने और बैक्टीरिया को नष्ट करने की विशेष क्षमता होती है।
जल को "जीवन" इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह मानव शरीर का लगभग 60% से 70% हिस्सा बनाता है।
शरीर में जल के मुख्य कार्य:
तापमान नियंत्रण: पसीने के माध्यम से शरीर का तापमान नियंत्रित करना।
परिवहन: पोषक तत्वों और ऑक्सीजन को रक्त के माध्यम से शरीर में पहुँचाना।
उत्सर्जन: मूत्र और पसीने द्वारा शरीर से विषाक्त (Toxins) पदार्थों को बाहर निकालना।
भारत में, खासकर बिहार राज्य में, भूजल प्रदूषण एक बड़ी समस्या है। बिहार के 38 में से 31 जिले आर्सेनिक, फ्लोराइड और लौह तत्वों से प्रभावित हैं।
प्रदूषण के कारण: औद्योगिक अपशिष्ट, अनुपचारित सीवेज, और प्राकृतिक रूप से भूजल में खनिजों की अधिकता।

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