संचार साथी ऐप: सुविधा या निजता का हनन?
भारत सरकार ने ऑनलाइन धोखाधड़ी (फ़र्जीवाड़ा) को रोकने के उद्देश्य से 'संचार साथी' नामक एक नई पहल लाने की घोषणा की है। सरकार का दावा है कि यह कदम जनहित में है, जिसका प्राथमिक लक्ष्य नागरिकों को डिजिटल फ्रॉड से बचाना है।
हालाँकि, इस पहल ने तुरंत ही एक गंभीर बहस को जन्म दे दिया है, खासकर 'निजता के हनन' के मुद्दे को लेकर।
संचार साथी ऐप की अवधारणा, जो ऑनलाइन धोखाधड़ी रोकने पर केंद्रित है, स्वागत योग्य है। डिजिटल युग में, जहाँ साइबर अपराध तेज़ी से बढ़ रहे हैं, सरकार की तरफ से एक सक्रिय कदम उठाना ज़रूरी है।
परंतु, इसकी आलोचना के मुख्य बिंदु निम्नलिखित हैं:
निजता का हनन: किसी भी सरकारी ऐप या प्लेटफॉर्म के लिए यह सबसे बड़ी चिंता होती है। यह ऐप किस तरह के डेटा को एक्सेस या ट्रैक करेगा? डेटा सुरक्षा (Data Security) और उसके भंडारण (Storage) की नीति क्या है? नागरिकों का डर जायज है कि यह ऐप निगरानी (Surveillance) का एक और माध्यम बन सकता है।
सरकारी आश्वासन की सीमा: विपक्ष द्वारा 'निजता के हनन' पर आपत्ति उठाने पर, मंत्री ने यह कहकर बचाव किया कि "आप चाहें, तो 'संचार साथी' ऐप को 'डिलीट' कर सकते हैं।" यह आश्वासन बेहद कमज़ोर और सतही है। किसी भी सुरक्षा संबंधी ऐप का उद्देश्य तब तक पूरा नहीं होता जब तक वह डेटा को सुरक्षित रखने के लिए एक मजबूत और पारदर्शी कानूनी ढाँचा प्रदान न करे। ऐप को डिलीट करने का विकल्प देना, निजता की सुरक्षा का समाधान नहीं है।
विश्वास की कमी: यदि सरकार वास्तव में जनहित में यह कदम उठा रही है, तो उसे ऐप के पीछे के टेक्नोलॉजी, डेटा उपयोग की नीतियों और निजता संरक्षण के उपायों को लेकर अधिकतम पारदर्शिता बरतनी चाहिए। 'डिलीट कर सकते हैं' जैसा बयान, नागरिकों के विश्वास को और कमज़ोर करता है, यह दर्शाता है कि सरकार शायद इस मुद्दे की गंभीरता को पूरी तरह समझ नहीं रही है।
'संचार साथी' एक दोधारी तलवार की तरह है। एक ओर, यह ऑनलाइन धोखाधड़ी पर लगाम लगाने का एक आवश्यक उपकरण बन सकता है। दूसरी ओर, यदि इसे मजबूत निजता सुरक्षा उपायों के साथ लागू नहीं किया गया, तो यह नागरिकों के डेटा और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के लिए एक बड़ा खतरा बन सकता है।
सरकार को केवल धोखाधड़ी रोकने पर ध्यान देने के बजाय, डेटा सुरक्षा और निजता को मौलिक अधिकार मानते हुए, इस ऐप की कार्यप्रणाली में पूर्ण पारदर्शिता लानी चाहिए। केवल 'डिलीट' करने का विकल्प देना काफी नहीं है; 'विश्वास' पैदा करना सबसे महत्वपूर्ण है।

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