नुक्कड़ नाटक समीक्षा: "भारत का इतिहास"-प्रो प्रसिद्ध कुमार।
यह नुक्कड़ नाटक "भारत का इतिहास," जिसका मंचन पटना पुस्तक मेला 2025 के अवसर पर गांधी मैदान में हुआ, एक अत्यंत सशक्त, मार्मिक, और शिक्षाप्रद प्रस्तुति थी।
1. नाटक की विषय वस्तु और विस्तार
नाटक ने भारत में ब्रिटिश शासन की स्थापना से लेकर स्वतंत्रता प्राप्ति तक के विस्तृत और पीड़ादायक इतिहास को सफलतापूर्वक समेटा। प्रस्तुति में इन मुख्य बिंदुओं पर ज़ोर दिया गया:
दोहन और शोषण: किसानों और मजदूरों पर हुए असहनीय अत्याचार, साथ ही अकाल जैसी त्रासदियों में करोड़ों लोगों की मौत को कलाकारों ने प्रभावी ढंग से दर्शाया।
राष्ट्रीय चेतना और आंदोलन: नाटक ने भारत छोड़ो आंदोलन (Quit India Movement) जैसे महत्वपूर्ण संघर्षों को भी मंचित किया, जिससे दर्शकों में राष्ट्रीय चेतना और प्रतिरोध की भावना जागी होगी।
विभाजन का दंश: प्रस्तुति का सबसे मार्मिक और विचारोत्तेजक हिस्सा आज़ादी से ठीक पहले देश के विभाजन को दर्शाना रहा। इस विभाजन ने किस तरह दो टुकड़ों में बंटे भारत का दंश दिया, उसे भावनात्मक गहराई के साथ प्रस्तुत किया गया।
2. प्रस्तुति की मुख्य विशेषताएँ और अभिनय
विरोधाभासी चित्रण: बालिकाओं द्वारा निभाए गए 'भारत माता की चीत्कार' और 'ब्रिटेन महारानी की खुशियाँ' के विपरीत किरदार नाटक के संदेश को सशक्त बनाते हैं। यह मंचन एक तरफ शोषित की वेदना और दूसरी तरफ शोषक की क्रूरता को स्पष्ट रूप से सामने लाता है।
भावनात्मक जुड़ाव: नाटक का उद्देश्य केवल इतिहास बताना नहीं, बल्कि पीड़ा, संघर्ष और बलिदान की भावना को दर्शकों के मन में उतारना था, जिसमें यह सफल रहा होगा।
3. निर्माण टीम का विवरण
निर्देशक (निदेशक): अभिजीत बंकावरी
प्रथम दर्शक : डॉ संतोष कुमार
सम्मान :श्री नरेन्द्र प्रसाद
वक्ता : अधिवक्ता. नवाब आलम
संयोजक :कुमार रविकांत
प्रस्तुत नाटक: भारत का इतिहास
समूह :इमैजिनेशन , पटना।
निर्देशक अभिजीत बंकावरी ने एक जटिल विषय को नुक्कड़ नाटक के सीमित मंच पर सटीकता और गतिशीलता के साथ प्रस्तुत करने का सराहनीय कार्य किया।
"भारत का इतिहास" केवल एक नाटक नहीं, बल्कि इतिहास का एक जीवंत पाठ था। इसने दर्शकों को स्वतंत्रता के मूल्य और विभाजन की त्रासदी के प्रति संवेदनशील बनाया। यह मंचन पुस्तक मेला जैसे सार्वजनिक मंच पर जन जागरूकता और ऐतिहासिक चिंतन को बढ़ावा देने का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।



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