पलायन से प्रसव तक – HIV की अनकही कहानी !

   


​1. पलायन और असुरक्षित व्यवहार (मुख्य कारक):

​बिहार में एचआईवी संक्रमण की उच्च दर का प्रमुख कारण पलायन है। रोजी-रोटी के लिए अन्य शहरों/विदेशों में गए मजदूर असुरक्षित यौन संबंध के कारण संक्रमित होते हैं। वापसी पर, वे अनजाने में अपनी पत्नियों को संक्रमित कर देते हैं, जिससे महिलाओं में संक्रमण का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है।

​2. माता से बच्चे में संक्रमण (PMTCT की विफलता):

​सीतामढ़ी जैसे जिलों में 400 से अधिक बच्चों में संक्रमण मिलना बताता है कि गर्भावस्था और प्रसव के दौरान संक्रमण को रोकने वाले कार्यक्रम (PMTCT) का क्रियान्वयन या तो अपर्याप्त है या गर्भवती महिलाओं की जाँच में गंभीर चूक हो रही है। यदि समय पर पहचान हो, तो बच्चे को संक्रमण से बचाया जा सकता है।

​3. स्वास्थ्य व्यवस्था पर आलोचनात्मक प्रश्न:

​यह 'विस्फोट' बिहार के स्वास्थ्य विभाग पर कई गंभीर सवाल खड़े करता है:

​जाँच का दायरा: क्या पलायन से लौटे लोगों की व्यापक जाँच हो रही है?

​बच्चों पर ध्यान क्यों नहीं?: बच्चों में बढ़ते मामलों ने PMTCT कार्यक्रमों को मजबूत करने की तात्कालिक आवश्यकता को उजागर किया है।

​भेदभाव (Stigma): सामाजिक भेदभाव के डर से लोग अपनी पहचान छिपाते हैं और समय पर इलाज के लिए आगे नहीं आते हैं, जिससे यह बीमारी तेजी से फैलती है।

​एचआईवी संक्रमण के ये आंकड़े केवल संख्याएं नहीं हैं, बल्कि हजारों जिंदगियाँ हैं। सरकार को चाहिए कि वह पलायन करके लौटे लोगों की अनिवार्य जाँच, PMTCT कार्यक्रम को मजबूत करने और जागरूकता अभियानों को प्राथमिकता दे।

​एक सामाजिक जिम्मेदारी के रूप में, हमें संक्रमित लोगों के प्रति दयालु और समावेशी होना चाहिए। क्योंकि HIV से लड़ना है, HIV पॉजिटिव व्यक्ति से नहीं।

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