एक्जिट पोल या सत्ता की दलाली!!प्रसिद्ध यादव की बेवाकी !शेयर करें!

बाबूचक, पटना।27 सितंबर 20. एग्जिट पोल या सत्ता की दलाली !
भारत में अपनी विश्वसनीयता खोती मीडिया की सच्ची खबरें भी झूठ नजर आती है।यह लोकतंत्र की चौथा खंभा पर काला धब्बा है।आज मीडिया की प्राथमिकता क्या है? और क्या होना चाहिये? एक समय था जब मीडिया पर सरकार तरह -तरह की अंकुश लगाती थी,लेकिन ये अपना पत्रकारिता धर्म नही भूलते थे।अब पेड न्यूज और पीत पत्रकारिता का दौर शुरू हो गया ।अब प्राइम टाइम पर डिबेट बदल गया।एंकर विरोधी को ऐसे डाँटता है मानो कोई पुलिस चोर को।अखबारों में स्तम्भ सरकार के मंत्री,चहेतों के छपती है।चुनाव आया नही की एक्जिट पोल के खेल शुरू हो जाता है।सर्वे करने वाले कभी ये नही बताते की सरकार की वादाखिलाफी क्या है?आमजन सरकार से कैसे संतुष्ट है? बेरोजगारी, भूखमरी की फौज , तीन दर्जन से अधिक एक साथ प्रायोजित ढंग से महिलाओं के साथ दुष्कर्म हुआ है,गरीबों के शौचालय के करोड़ों रुपए गटक गए,लॉक डाउन में अप्रवासी मजदूरों को अपने घर आने से पहले बॉर्डर पर रोका गया आदि।क्या इसके दुष्परिणाम नही होंगे? चुनाव में जनता जरूर सवाल सरकार के लोगों से पूछेगी।देश में मंदी और महंगाई एक साथ चल रही है।लोगों के थाली से सब्जी दाल गायब हो गये।सवाल सुरसा की तरह मुंह बाये खड़ी है।शायद ही सरकार जवाब दे पाये, फिर सरकार की वापसी का अनुमान करना जल्दबाजी होगी।अभी समय है बहुत कुछ बदलाव देखने को मिलेंगे।
प्रसिद्ध यादव।

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