सूत्रधार का तीन दिवसीय नाट्योत्सव हुआ आरम्भ- प्रसिद्ध यादव
पटना कालिदास रंगालय में शाम 6 बजे से 23 नवम्बर से 25 नवम्बर तक चार नाटकों का मंचन होना है।23 नवम्बर को कार्यक्रम के उद्घाटन बिहार हिंदी साहित्य के अध्यक्ष अनिल सुलभ, रंगालय के अध्यक्ष r n das, दानापुर नगर परिषद के अध्यक्ष डॉ अनु कुमारी ,सूत्रधार के महासचिव नवाब आलम ,अस्तानन्द और मैं द्वीप प्रज्जलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया।अतिथियों को पुष्पगुच्छ और अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया गया।सुलभ को नवाब आलम और नगर अध्यक्ष, दानपुर के डॉ अनु कुमारी को मैं अंगवस्त्र दिया। साहित्यकार मन्नु भंडारी, भारत यायावर और नाटककार तरुण मुखर्जी के तैल चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की गई। अरुण सिन्हा लिखित और अभय सिन्हा निर्देशित " अतीत का वातायन" नाटक बिहार के आजादी के जंग में लड़े बहादुरों की वीर गाथा है। संथाल विद्रोह, सिधू कान्हू,बिरसा मुंडा, पटना के पीर अली की फांसी,बाबू कुंवर सिंह की फिरंगियों से युद्ध, दानापुर में मंगल पांडेय का सिपाही विद्रोह, मुजफ्फरपुर में चाकी प्रफुल्ल की शहादत, खुदीराम बोस की फांसी, चंपारण में किसानों को फिरंगियों द्वारा जबरन निल की खेती, विदेशी कपड़ों की होली राजकुमार शुल्क के आग्रह पर गांधी की सत्याग्रह, अवज्ञा आंदोलन, नमक कानून, बंग भंग आंदोलन, जेपी के हजारीबाग जेल से भागना, 1942 में सचिवालय पर सात शहीदों की कुर्बानी बखुबी दिखाया गया। देश की आजादी तक का सफर एक नाटक में दिखाना अपने आप में अजूबा है।नाटक का समापन राष्ट्र गान के साथ समापन हुआ। ध्वनि, लाइट लाजवाब था। बैकग्राउंड से संवाद दूरदर्शन के कलाकार और गायन लोकगायक मनोरंजन ओझा की आवाज से समा बन्ध गयी।
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