कालिदास रंगालय में सुनहरे यादगार के साथ समापन हुआ सूत्रधार का नाट्योत्सव- प्रसिद्ध यादव











    

 साहित्यकारों, रंगकर्मियों ,विद्वानों, राजनीतिज्ञयों ,समाजसेवियों का हुआ समागम।

फ़िल्म अभिनेता पंकज त्रिपाठी भी खगोल के रंगमंच के उपज।विश्वविख्यात चित्रकार सुबोध गुप्ता खगोल में नाटकों के पोस्टर की करते थे चित्रकारी।होजियरी के लिये देश में लुधियाना तो नाटक के लिए खगोल- डॉ ध्रुव।

 पदमश्री श्याम शर्मा जी को नवाब आलम और रीतलाल यादव जी को अंगवस्त्र और प्रतीक चिन्ह भेंट किया साथ में मो सादिक ,असितानंद भी थे। द्वारा आयोजित त्रिदिवसीय खगौल विरासत नाट्य महोत्सव 2021 का आज समापन हो गया. आरंभ में अतिथियों का स्वागत संस्था के महासचिव नवाब आलम,अधिवक्ता ने किया. उन्होंने कहा कि खगौल सहित देश की सांस्कृतिक विरासत पर और परंपरा पर हमे गर्व है,लेकिन बाजारवाद और शहरीकरण ने हमारे रंगमंच को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है. इस अवसर पर सूत्रधार द्वारा प्रकाशित स्मारिका का विमोचन पद्मश्री श्याम शर्मा, रीतलाल राय विधायक, दानापुर, संजय उपाध्याय पूर्व निदेशक, मध्य प्रदेश स्कूल ऑफ ड्रामा, डॉ विनोद कुमार मंगलम, समाजसेवी संजीत कुमार, के करकमलों से हुआ.

अतिथियों ने स्मारिका की प्रशंसा करते हुए इसे बेहद उपयोगी एवं संग्रहणीय बताया. इस अवसर पर प्रसिद्ध चित्रकार और पद्मश्री सम्मान से सम्मानित श्याम शर्मा को सूत्रधार की ओर से स्मृति चिन्ह और अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया गया. अपने संबोधन में श्याम शर्मा ने कहा कि यह अत्यंत प्रसन्नता का विषय है कि संस्था विगत 42 वर्षों से बिहार में सक्रिय है इस संस्था ने अनेक नामी कलाकारों को जन्म दिया है समाज में नाटक जागरूकता के लिए सूत्रधार बिहार में और बिहार से बाहर प्रदर्शन करती रही है. समाज को आदर्श समाज बनाने के लिए निरंतर सक्रिय भूमिका निभा रहा है. नाट्य महोत्सव के सफल आयोजन की बधाई एवं शुभकामनाएं देता हूं, उम्मीद है कि महोत्सव में मंचित नाटकों को देखकर दर्शक आनंदित हुए होंगे.

समापन समारोह को संबोधित करते हुए दानापुर के विधायक रीतलाल यादव ने खगौल के रंगकर्मियों की प्रशंसा करते हुए खगौल में प्रेक्षागृह निर्माण की दिशा में कारगर पहल का भरोसा दिलाया. उन्होंने कहा कि खगौल की सरजमीं सांस्कृतिक मामलों में काफी उर्वरक है, जहां संवेदनशील मंच के कलाकार मंच और अभावों के बीच अपने रंगकर्म से समाज में इंसानों की बढ़ी मुसीबतों के खिलाफ लड़ रहे हैं. सूत्रधार के कलाकार राज्य और देश स्तर पर अपना लोहा मनवा चुके हैं. संजय उपाध्याय ने कहा कि सूत्रधार ने विपरीत परिस्थितियों में भी नाटक जैसी तहजीब और संस्कृति को बचा कर रखा है और पिछले कई वर्षों से नाट्य महोत्सव करते आ रहे हैं.

त्रिदिवसीय नाट्य महोत्सव में कुल 4 प्रस्तुतियां हुई. आखरी दिन आयोजक संस्था सूत्रधार, खगौल द्वारा रविंद्र नाथ टैगोर की कहानी पर आधारित और नूपुर चक्रवर्ती द्वारा नाट्य रूपांतरित एवं नीरज कुमार द्वारा निर्देशित नाटक अनाथ की प्रस्तुति हुई. नाटक की कथावस्तु समसामयिक है. पारिवारिक एवं सामाजिक दृष्टिकोण से ये कहानी अति दुर्लभ रचना है. जयगोपाल, अपने शादी के बाद ससुर के कहने के बाद ससुराल में हीं बस जाता है, उसके ससुर और सास मरने से पहले अपनी बेटी के गोद में नीलमणि को देते हैं, और उसके बाद अच्छी परवरिश का वचन अपनी बेटी शशिकला, और दामाद जयगोपाल से लेते हैं.

नीलमणि धीरे–धीरे बड़ा होता है. शशिकला भाई के परवरिश में पति को प्यार देना भूलने लगती है. जयगोपाल के मन में लालच भरा है. वह चाहता है कि नीलमणि को मार कर सारा धन–दौलत अपने नाम कर ले. उसकी पत्नी शशिकला को अपने पति के नापाक इरादे का पता चलता है, वो भाई के रक्षा के लिए मजिस्ट्रेट के शरण में जाती है. जयगोपाल अपने साले को कई बार मारने की कोशिश भी करता है, लेकिन वो नाकामयाब रहता है. शशिकला अपने भाई के रक्षा के लिए अपने पति के द्वारा मारी जाती  है।

अंत में नीलमणि बड़ा होकर अपनी दीदी की मौत का बदला लेता है. कलाकारों में मधु कुमारी, शशि भूषण कुमार, निशा कुमारी ,रत्नेश कुमार ,नीरज कुमार ,दीपक कुमार ,तनु कुमारी, किशन कुमार ,दीपक कुमार गुप्ता, सौभ्य श्री, सत्यम कुमार नेपथ्य में सैफ़ अली, आदर्श कुमार शुभम परवेज आलम रोहित, कुमार नवीन कुमार शोएब कुरैशी आर नरेंद्र राजीव रंजन श्रीवास्तव आदि शामिल थे. कसा हुआ निर्देशन दृश्य संयोजन नाटक की अच्छी गति संवाद बेबाक अभिनय से सजा नाटक प्रभाव छोड़ने में सफल रहा. उद्घोषणा वरिष्ठ रंगकर्मी राजीव रंजन श्रीवास्तव ने किया.


मौके पर समाजसेवी पिंकू यादव, साहित्यकार बीएन विश्वकर्मा, पत्रकार, समीक्षक, संस्कृतिकर्मी किशोर केशव,वरिष्ठ रंगकर्मी विनोद शंकर मिश्र, प्रसिद्ध यादव, अस्तानंद सिंह, मो सदीक सहित अन्य लोग मौजूद थे. सभी प्रतिभागी संस्थाओं और महोत्सव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वालों को प्रतीक चिन्ह और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया. विदित हो कि त्रिदिवसीय खगौल विरासत नाट्य महोत्सव साहित्यकार भारत यायावर, कहानीकार मनु भंडारी और बिहार के रंगकर्मी आरपी वर्मा तरुण को समर्पित था साथ ही उन तमाम रंगकर्मियों को जिन्हे कोविड महामारी ने हमसे छीन लिया.




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