हिंसा की आग में बर्बाद हुआ था शहीद जय गोविंद सिंह यादव का गांव बाबूचक - प्रसिद्ध यादव भाग 2

   



 27 सितम्बर1965  को जब बाबूचक के लाल जय गोविंद सिंह यादव  शहीद हुए तब यह गांव सुर्खियों में आया था, राजनेताओं का दौड़ा शुरू हुआ था पूर्व सांसद कॉम रामावतार शास्त्री, पूर्व प्रमुख कॉमरेड रामनारायण यादव, पूर्व मुखिया राम लक्षण यादव, रामायण मुखिया, परमेश्वर मुखिया, जुगल मुखिया, पूर्व विधायक राम नाथ यादव, पूर्व विधायक दानापुर सुखसागर यादव, बुद्धदेव यादव आदि के लिए एक पवित्र भूमि और वामपंथी का गढ़ बन गया था। इससे आसपास के समन्तियों को यह रास नही आया और इस पंचायत के पूर्व मुखिया ने अपनी बंदूक देकर शहीद के परिवार में आपस में तीन हत्या करवा दी। सबकुछ धूमिल हो गया और तो और इस तिहरे हत्याकांड पर गाना बनाकर चौक चौराहे मेले में गाना शुरू कर दिया और गीत की पुस्तकें बेचना शुरूं कर दिया। शहीद की शहादत को गुमनाम करने की साजिश कामयाब हो गया। इस मुकदमें में लोगों के जमीन जायदाद बिक गये, जो पढ़ने वाले थे, सबकी पढ़ाई छूट गई थी। कई को सजाए मौत , कई को आजीवन कारावास हुआ था।इस मुकदमे को देख रहे अधिवक्ता पूर्व सांसद गणेश यादव व अन्य नेताओं के सहयोग से समझौता हुआ और पटाक्षेप हुआ। जीवन की गाड़ी धीरे धीरे पटरी पर लौटने लगी। इसी परिवार में हरिहर राय नामी घुड़सवार थे, जो एकबार ट्रेन से मुकाबला हुआ था और ये ट्रेन से आगे नेउरा से चलकर दानापुर पहुंचे थे इन्हीं के पुत्र जामुन राय पहलवान थे ये दानापुर आर्मी अधिकारी डालबर साहब के सम्बन्धी थे,बाबूचक में  अखाड़ा में कुश्ती दंगल शुरूं करवाये ।इस अखाड़े में अन्य प्रखंडों के पहलवान दंगल लड़ते थे और इसके नियमित दर्शक पूर्व विधायक बिजेंद्र गोप, उदय मुखिया आदि होते थे। उस वक़्त ये लोग युवा थे विधायक नही हुए थे।इस गांव के लोग नई तरुणाई के साथ अंगड़ाई लिये ही थे कि 8 अक्टूबर 1979 सोमवार के दिन जिस दिन जेपी की मृत्यु हुई थी, जामुन राय फसल पटा रहे थे कि महम्मदपुर के सामंती लोग बन्दूक लेकर आये जामुन राय को गोलियों से भून दिया। स्पोर्ट पर ही मौत हो गई, चारो तरफ दहशत, भय का माहौल बन गया। इस मौत से युवा बिजेंद्र गोप व अन्य क्रोधित हो गये और मारने वाले एक एक कर भी साफ़ हो गये। इस घटना के बाद बिजेंद्र गोप एक बिहार के दुर्दांत अपराधी बन गए, जिसे तत्कालीन एसपी किशोर कुणाल ने पटना सेंट्रल जेल से निकालकर फर्जी इनकोउन्टर की साजिश रची थी, लेकिन शेरेबिहार रामलखन सिंह यादव जेल की गेट पर पहुंच गए और हजारों हजारों की संख्या में यादव के समर्थक जेल को घेर लिया। कुणाल की करतूत और हेकड़ी को यादव ने बन्द कर दी थी। जेल से ही 1985 में बिजेंद्र गोप दानापुर से निर्दलीय और 1990 जनता दल से विधायक बने थे। बाबूचक पूर्व विधायक आशा सिन्हा के पति सत्यनारायण सिन्हा का पैतृक गांव है। इनके परिवार आज भी बाबूचक में ही रहते हैं।

शेष अगली कड़ी में ...

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