पटना के जला हुआ पाल होटल देखकर मेरे कदम रुक गए ! आग लगने से 7 लोग काल कल्वित व 20 से अधिक घायल हुए
पटना स्टेशन के उत्तर और महाबीर मंदिर से पूरब उतर दिशा में जला हुआ पाल होटल देखकर मेरे कदम रुक गए। लोग अपने धुन में आ जा रहे थे लेकिन मैं उसमें जिंदा जले 7 लोगों की भयावहता , उसकी चीख पुकार मानों मेरे कानों में गूंज रही थी।कितने अरमानों से लोग होटल में रिलैक्स करने,लजीज खाना खाने गये होंगे। कुछ के निवाले हाथों में तो कुछ के मुंह में ही रहे होंगें। इस घटना को विधि के विधान मानकर इतिश्री करना ठीक नहीं है। होटल नियमावली को नजरअंदाज कर पटना में ऐसे सैंकड़ों होटल रेस्टोरेंट चल रहे हैं।होटलों की जांच की नाम पर मासिक वसूली से ज्यादा कुछ नहीं होता है। होटल के सामने फुटपाथी दुकानदारों से जब इस भयावहता के बारे में पूछा तो बताया कि दिन के करीब 10.30बजे होंगें ।एकाएक होटल में धुआं उठा और देखते देखते होटल आग की गोले में बदल गई, बाहर खड़े लोग बदहवास भागने लगी ,चारों तरफ चीख पुकार होने लगी।हमलोग भी अपनी दुकान समेट कर भागने लगे।जले हुए होटल की दृश्य देखकर इसकी भयावहता का अंदाजा लगाया जा सकता है। सच कहें तो यह देखकर मेरे रोंगटे खड़े हो गए। पटना के तंग गलियों में होटल ,रेस्टोरेंट, गोदाम बने हुए हैं जहां आग लगने पर अग्निशमन गाड़ियां नहीं पहुंच सकती है और उसके आसपास घनी आबादी बसी हुई है। पटना प्रशासन के पास ऐसे लिस्ट होगी या नहीं कहना मुश्किल है। अगर गैर कानूनी तरीके से होटल बने हुए हैं तो उसे अविलम्ब बन्द कर कार्यवाही करनी चाहिए।
आपको बता दें कि पाल होटल के किचन में सेफ लंच तैयार कर रहे थे। इसी दौरान गैस चूल्हे की लौ तेज होने के कारण कड़ाई में खौल रहे तेल के छौंक से आग लग गई। आग की लपटें इतनी तेज थी कि वहां मौजूद प्लास्टिक में इसकी जद में आ गए थे। जब तक सेफ और अन्य स्टाफ आग पर काबू पाते तब तक पूरे किचन में आग फैल गई थी।फायर ब्रिगेड की टीम जब तक यहां पहुंचती तब तक पूरे होटल में आग फैल गई। घनी आबादी के बीच होटल में आग लगने से अगल बगल को भी नुकसान होती है।होटल में अग्निशमन की ठीक व्यवस्था होना चाहिए ताकि विपरीत परिस्थितियों में तुरंत आग लगने पर काबू पाये।
Comments
Post a Comment