भाई नवाब आलम जी शीघ्र सर्वाइकल दर्द से चंगा हों!
बिहार के चर्चित रंगकर्मी, भिखारी ठाकुर नाट्य पुरस्कार से पुरस्कृत ,अधिवक्ता ,समाजसेवी, राजनीतिज्ञ नवाब साहब कई दिनों से सर्वाइकल दर्द से परेशान हैं। अभी हाईटेक अस्पताल दानापुर के देखरेख में इलायज करवा रहे हैं। इनके अस्वस्थता से कितने लोग प्रभावित होते हैं, मुझे नहीं मालूम ,लेकिन मैं बहुत ज्यादा प्रभावित रहता हूँ। मैं भी निजी कारणों से कई महीनों से परेशान हूँ।नतीजा, हम दोनों इस विषम परिस्थितियों में नदी के दो किनारे की तरह हो गए हैं। नवाब साहब के कुछ दिन पूर्व होली के दिन बड़े भाई किडनी की बीमारी के कारण निधन हो गया। नवाब जी की पत्नी भी बीमारियों के कारण फिजियोथेरेपी करवा रही है और अब खुद नवाब जी। जब समय विपदाओं की आती है तो चारों तरफ से घेर लेती है और ऐसी स्थिति में व्यक्ति विचलित होने लगता है, किसी मानसिक सहारा की जरूरत पड़ती है लेकिन इक्कीसवीं सदी में लोगों के पास सबकुछ है लेकिन समय और आदमी का लोग कंगाल होते जा रहे हैं और प्रायः अधिकांश के साथ यही हो रहा है।अब तो लोग बुरे हाल शेयर करना भी छोड़ दिया।पता नहीं कौन और दुर्दशा होने की चाह में निरंतर जानकारी लेते रहे।" अब कैसा है? पहले से ठीक की और गड़बड़!" ऐसे शब्दों का कोई क्या अर्थ लगा सकता है? जो भी हो हम कामना करते हैं कि नवाब साहब जल्द स्वस्थ्य होकर अपने कार्यों को और रफ्तार में करें।
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