आनन्द मोहन दलित डीएम जी कृष्णय्या के हत्यारोपी को शिवहर में हेकड़ी बन्द होगी।

    


शिवहर में दलित डीएम जी कृष्णय्या की हत्यारे पर मेरा खून गर्म हो जाता है तो क्या वहां तपिस नही है?

पटना में रामानंद यादव मोहन की हेकड़ी बन्द कर दिया था।

 निर्दोष जी कृष्णय्या की हत्या पर मेरे  आंखों में आंसू आ गए थे।बात 1994 की थी ।वे गोपाल गंज के डीएम थे और पटना से मीटिंग कर लौट रहे थे कि भीड़ की उसकावे में कृष्णय्या की निर्मम हत्या कर दी गई थी। आनंद मोहन उस भीड़ को लीड कर रहा था।  एक कठिन परिश्रम के बाद कृष्णय्या कुली से आईएस बने थे । राजद में मोहन के बेटा के रहते हुए मैं काफी विरोध किया था। मोहन कृष्णय्या की पत्नी से माफी मांगने की योजना बनाया लेकिन उसकी पत्नी ने दुष्ट की छाया देखना भी मुनासिब नहीं समझी भेंट की बात तो दूर की है। अभी मोहन की बाबुसाहेबगिरी नहीं गई है ।क्षेत्र के पिछड़े दलित को लगाकर अपमानित कर रहा है।हालांकि इसकी हेकड़ी पटना में डॉ रामानन्द यादव ने छोड़ा दिया था, जब इसके मंच को जेसीबी से खिंचवा दिया था। भले ही देश के एक  दलित डीएम की ही हत्या क्यों न हो? डीएम हुआ तो क्या हुआ ?आखिर थे तो दलित ही न ! दलितों की आज भी भारत में क्या बिसात है? जितना बकरे की जान की कीमत है, उससे भी कम है।  आज भी दलित के प्रति लोगों के मन में नफरत,घृणा कूट कूट कर भरा हुआ है । दलितों की नकारात्मक खबरें मीडिया की खूब मसाला बन जाता है लेकिन सकारात्मक खबरें दब जाती हैं।इसके पक्ष में न आईएस एसोसिएशन है, न कोई नेता ,न मीडिया न न्यायालय स्वतः संज्ञान लेने वाला है।शिवहर की जनता ऐसे निर्दोष डीएम के हत्यारोपी की पत्नी को कभी जीतने नहीं देगी।

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