लाइफ लाईन रेलवे की लापरवाही से छिनती यात्रियों की लाइफ !
रेलवे कर्मचारियों की कमी व पटरियों पर क्षमता से अधिक रेल परिचालन रेल घटना के कारण है। रेल देश में सबसे ज्यादा लोगों को नौकरी देने वाला संस्थान है। फिलहाल, इसमें 12 लाख से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं, रेलवे के कुल राजस्व का करीब 65 फीसदी हिस्सा कर्मचारियों के वेतन और पेंशन पर खर्च होता है। 2018 से रेलवे ने सुरक्षा विभाग में 72,274 और गैर-सुरक्षा में 68,366 खाली पदों का ऐलान कर चुका है। फिलहाल रेलवे में लगभग 1.41 लाख खाली पद हैं। रेल हादसों की बड़ी वजह रेलवे स्टाफ की नाकामी, गाड़ियों, मशीनों की खराबी और तोड़-फोड़ थी। रेल दुर्घटनाओं पर लगाम न लग पाने का बहुत बड़ा कारण है रेल पटरियों की जर्जर हालत, जिन पर सरपट दौड़ती रेलें कब किस जगह बड़े हादसे की शिकार हो जाएं, कहना मुश्किल है। देशभर में लगभग सभी स्थानों पर पटरियां अपनी क्षमता से कई गुना ज्यादा बोझ झेल रही हैं। भारतीय रेलवे के करीब 1219 रेलखंडों में से करीब चालीस फीसद पर ट्रेनों का जरूरत से ज्यादा बोझ है। एक रपट के मुताबिक 247 रेलखंडों में से करीब 65 फीसद तो अपनी क्षमता से सौ फीसद से भी अधिक बोझ ढोने को मजबूर हैं और कुछ रेलखंडों में पटरियों की कुल क्षमता से 220 फीसद तक ज्यादा ट्रेनें चल रही हैं। लगातार ट्रेन दुर्घटनाओं से यात्री भयभीत हैं। एक महीने में कई दुर्घटनाएं चिंताजनक है।
अमेरिका, रूस और चीन के बाद दुनिया का चौथा सबसे लंबा रेल संजाल भारतीय रेलवे ही है, जिसे भारत की ‘जीवनरेखा’ भी कहा जाता है। प्रतिदिन ढाई करोड़ से ज्यादा यात्री रेल में सफर करते हैं और 28 लाख टन से ज्यादा की माल ढुलाई होती है।
रेल मंत्रालय अविलंब कर्मचारियों की संख्या बढ़ाये और रेलवे पटरियों से ट्रेनों की बोझ कम करे।
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