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केंद्र सरकार ने लालू ,शरद, मुलायम की चिर परिचित मांग जातीय जनगणना करवाने का निर्णय लिया।

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  सामाजिक न्याय के पुरोधा लालू यादव, शरद यादव, मुलायम सिंह यादव की पुरानी मांग जातीय जनगणना करवाने के लिए मुहर लगा दी। इन मुद्दों को उठाने पर लोग उपहास करते थे और जातीयता का दोषारोपण करते थे लेकिन अब साबित हो गया कि यह एक सामाजिक न्याय की क्रांति थी।शहीद जगदेव बाबू के सपने जिसकी जितनी भागेदारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी पर अमलीजामा पहनाया जाएगा।आरक्षण पर कर्पूरी ठाकुर जी को खुलेआम गालियां देने वाले भी इनके चरणों में नतमस्तक हैं। संघर्ष आज नहीं तो कल जरूर रंग लाता है। जातीय जनगणना के लिए लालू प्रसाद यादव, शरद यादव और मुलायम सिंह यादव ने लंबे समय तक संघर्ष किया है। यहाँ उनके प्रयासों के कुछ मुख्य बिंदु दिए गए हैं: 1990 का दशक: लालू प्रसाद यादव ने जनता दल के अध्यक्ष के रूप में, संयुक्त मोर्चा सरकार के दौरान 1996-97 की कैबिनेट बैठक में 2001 की जनगणना में जाति गणना कराने का निर्णय लिया था, लेकिन अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में यह निर्णय लागू नहीं हो पाया। 2011:लालू प्रसाद यादव, मुलायम सिंह यादव और शरद यादव ने मिलकर संसद में इस मुद्दे को उठाया और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से सामाजिक-आर्थिक सर्...

भारत में मजदूरों की संख्या चीन के बाद विश्व में दूसरी सबसे बड़ी है।

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  ख़ून मज़दूर का मिलता जो न तामीरों में न हवेली न महल और न कोई घर होता। मजदूर दिवस पर बधाई!  भारत में सबसे ज़्यादा मजदूर पलायन मुख्य रूप से कुछ राज्यों से होता है। हालांकि पलायन के आंकड़े समय-समय पर बदलते रहते हैं, लेकिन सामान्य तौर पर निम्नलिखित राज्य उच्च मजदूर पलायन दर वाले माने जाते हैं: उत्तर प्रदेश: यह राज्य लंबे समय से देश के विभिन्न हिस्सों में श्रम आपूर्ति करने वाले प्रमुख राज्यों में से एक रहा है। बिहार: बिहार भी एक ऐसा राज्य है जहाँ से बड़ी संख्या में लोग रोजगार की तलाश में दूसरे राज्यों में पलायन करते हैं। राजस्थान: इस राज्य के भी काफी लोग बेहतर अवसरों की तलाश में अन्य राज्यों की ओर रुख करते हैं। मध्य प्रदेश: मध्य प्रदेश भी उन राज्यों में शामिल है जहाँ से मजदूरों का पलायन अधिक होता है। इन राज्यों से पलायन के कई कारण हैं, जिनमें शामिल हैं: रोजगार के अवसरों की कमी: इन राज्यों में अक्सर पर्याप्त रोजगार के अवसर उपलब्ध नहीं होते हैं। कृषि पर अत्यधिक निर्भरता: अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार कृषि होने और उसमें भी अनिश्चितता के कारण लोगों को अन्य क्षेत्रों में रोजगार खोजना पड़...

जमालुद्दीन चक पंचायत के कोठियां टोला के स्व योगेंद्र राय की पत्नी को न विधवा पेंशन मिली न इंदिरा आवास।

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   @danapur. लालू यादव जी एक बार इनके घर आकर खुद मदद किये थे। सुबह सुबह मैं टहलने जा रहा था ,स्व योगेंद्र राय की पत्नी की आंखों में आंसू थी।मैं पूछा क्या हुआ ? कल कुत्ता आकर एक बकरी के बच्चा को काट कर मार दिया।  काला वाला बच्चा को मेरे पूछने पर वो हाँ बोली। चूंकि हर दिन टहलने के क्रम में हर रोज उसका हालचाल जरूर पूछता था,इसलिए मुझे उसकी मुफलिसी के बारे में पता है।  सरकार की अन्य कल्याणकारी योजनाएं हैं लेकिन इसके लिए कुछ नहीं है ,क्योंकि योजनाओं को पूरा करने में इतनी क्रेटेरिया है कि बिना दौड़ धूप किये,चढ़ावा चढ़ाए कल्याण होने का सवाल ही नहीं है।अब इसके पास न पैसे हैं न समय है कि कहीं जाए। पंचायत के जनप्रतिनिधियों को ऐसे लोगों को सुध लेने की फुर्सत नहीं है।  इसके पास करीब कुल एक कट्ठा जमीन थे,उसमें आधा कट्ठा बेचकर पति की इलायज करवाई और कुछ बचे पैसे से कुछ घर बनाई। जीवन यापन के लिए दूसरों की मजदूरी व बकरी पालन करते हैं। इसकी गरीबी की दुष्चक्र की लंबी कहानी है । संक्षेप में,  इनके पति जब छोटे थे तो घर से सियार उठाकर ले गया था और पूरा लहूलुहान कर दिया था, हल्ला होन...

पाटलिपुत्र यूनिवर्सिटी के राम लखन सिंह यादव कॉलेज अनीसाबाद में स्नातक चतुर्थ वर्षीय तीनों संकायों में नामांकन प्रक्रिया शुरू हुई।

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                        पाटलिपुत्र यूनिवर्सिटी   में नए सत्र 2025-2029 स्नातक में नामांकन की प्रक्रिया 25 मई से शुरू हो गयी। यह नामांकन चार वर्षीय च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम के तहत होगी। स्नातक फर्स्ट सेमेस्टर 2025-2029 के लिए नामांकन की आखिरी तारीख 30 जून है। इसके लिए कुलपति प्रो शरद कुमार यादव की अध्यक्षता में नामांकन कमेटी की बैठक में स्वीकृति प्रदान कर दी थी। वहीं, 4 जुलाई से नए सत्र शुरू कर दिया जाएगा। पीपीयू के  एकेडमिक कैलेंडर के अनुसार ही सभी काम किए जाएंगे। कुलपति ने एकेडमिक कैलेंडर तैयार कर राजभवन और सरकार को भी भेजा दिया था। शैक्षणिक सत्र को लगातार अपडेट रखते हुए नए सत्र में भी तय सीमा के अंदर सभी परीक्षाएं आयोजित कराने का लक्ष्य रखा गया है। इस एकेडमिक कैलेंडर में प्रवेश, परीक्षा के समय की भी घोषणा कर दी गई है।       राम लखन सिंह यादव कॉलेज अनीसाबाद ,पटना  2 की विशेषताएं -- यह राजधानी पटना की हृदयस्थली अनीसाबाद  ,पटना 2 में शांत ,प्रकृति एवम   रमणीक शैक्षणिक वात...

भारत में सामाजिक-आर्थिक असमानता एक गंभीर और बहुआयामी समस्या ! प्रो प्रसिद्ध कुमार , अर्थशास्त्र।

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       राजनीति के लोकलुभावन घोषणाओं में भारत की मूल समस्याओं ,जिससे देश की 80 फ़ीसदी से अधिक आबादी प्रभावित है से मुद्दे गौण हैं। इसके जगह पर भड़काऊ बयान व एजेंडे चल रहा है। प्रभावित लोग इसी के मोहफास में है।आज भी आदमी को सम्मानपूर्वक इंसान बनने में जीवन खत्म हो जाता है लेकिन उसे सम्मानपूर्वक जीवन जीने का अधिकार नहीं मिलता है। जिसके कई कारण हैं: असमानता की स्थिति: धन का असमान वितरण: भारत में धन का वितरण बहुत असमान है। एक रिपोर्ट के अनुसार, देश के शीर्ष 1% लोगों के पास देश की कुल संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा है, जबकि नीचे के 50% लोगों के पास बहुत कम संपत्ति है। आय में असमानता: आय के मामले में भी भारत दुनिया के सबसे असमान देशों में से एक है। शीर्ष 10% और शीर्ष 1% आबादी राष्ट्रीय आय का एक बड़ा हिस्सा रखती है, जबकि नीचे के 50% की हिस्सेदारी बहुत कम है। शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा तक असमान पहुंच: गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच में बड़ी असमानता है। यह असमानता लोगों की आर्थिक और सामाजिक गतिशीलता को सीमित करती है और गरीबी के चक्र को बनाए रखती है। रोजगार के अवसरों ...

दुनिया में जापान में औसत जीवन प्रत्याशा सबसे अधिक लगभग 84 वर्ष है।

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         जापान  में औसत जीवन प्रत्याशा  दुनिया में सबसे अधिक है, जो लगभग 84 वर्ष है। अमेरिका में यह 77.5 वर्ष है, और भारत में यह लगभग 70 वर्ष है.  जापान के हिरोशिमा में पहला परमाणु बम 6 अगस्त 1945 को गिराया गया था, और नागासाकी में दूसरा बम 9 अगस्त 1945 को।  अनुमानतः हिरोशिमा में 140,000 से अधिक लोगों और नागासाकी में 74,000 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी।      जापान  और अमेरिका, दोनों में ही भारत की तुलना में जीवन प्रत्याशा अधिक है। जापान में जीवन प्रत्याशा का मुख्य कारण इस्केमिक हृदय रोग और कैंसर से होने वाली कम मौतें हैं, जबकि अमेरिका में जीवन प्रत्याशा की अधिकता के पीछे जीवनशैली और स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच जैसे कारक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जापान में कम हृदय रोग और कैंसर से मौतें होती है। जापानी लोग कम वसा और अधिक मछली, सोयाबीन और हरी चाय का सेवन करते हैं, जिससे हृदय रोग और कुछ प्रकार के कैंसर का खतरा कम होता है। जापानी लोग अधिक पैदल चलते हैं, सीढ़ियाँ चढ़ते हैं और 80% तक पेट भरने तक खाते हैं, जिससे मोटापे से बचा जा स...

भारत की यही है रामराज्य ! वंचितों के साथ जानवरों जैसा दुर्व्यवहार !

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   कहाँ गया योगी का बुलडोजर ,नीतीश का सुशासन! हिन्दू धर्म व सनातन धर्म के नाम पर पगलाए हुए वंचितों ,बहुजनों सपा संसद रामजी लाल पर जानलेवा हमला, जय भी कहने पर बुरी तरह से पिटाई करना ,आरा में 7  बारातियों को गोली मारने जैसी घटनाएं आंखें खोलने के लिए काफी है।इसके बावजूद भी भगवा -भगवा कहता है तो चुल्लू भर पानी में डूब मर जाना चाहिए।आज उसकी बारी है कल तेरी बारी आएगी। इसके पिछलग्गू जदयू ,हम ,लोजपा है।यही सब मनुवादियों को देश में फलने फूलने दिया है।इसे भी बहुजनों को सबक सिखाने की जरूरत है। यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना जातिगत भेदभाव और उत्पीड़न की समस्या को उजागर करती है जो अभी भी भारत के कुछ हिस्सों में मौजूद है। "जय भीम" का नारा, जो दलितों के उत्थान और सामाजिक न्याय का प्रतीक है, के इस्तेमाल पर इस तरह की प्रतिक्रिया अस्वीकार्य है।  सपा संसद रामजी लाल पर टायर से हमले  उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में समाजवादी पार्टी (सपा) के राज्यसभा सांसद रामजी लाल सुमन के काफिले पर हमला हुआ है। इस हमले में करणी सेना के कार्यकर्ताओं पर टायर और पत्थर फेंकने का आरोप लगा है।  यह  घटना अलीग...