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अलविदा 2025 — स्मृतियों का कोलाज और सुनहरे कल की आहट !

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     ​1. उपलब्धियों का शिखर: विज्ञान और तकनीक का दम ​साल 2025 ने साबित कर दिया कि सीमाएँ केवल नक्शों पर खींची जा सकती हैं, संभावनाओं पर नहीं। ​अंतरिक्ष में भारत का दबदबा: इसरो (ISRO) के मिशनों ने इस साल नई सफलताएँ अर्जित कीं। विशेष रूप से गगनयान के मानव रहित परीक्षणों और चंद्रमा के अनछुए पहलुओं की खोज ने भारत को अंतरिक्ष विज्ञान में एक 'ग्लोबल पावरहाउस' के रूप में स्थापित किया। ​तकनीकी आत्मनिर्भरता: भारत ने इस साल 'सेमीकंडक्टर हब' बनने की दिशा में ऐतिहासिक छलांग लगाई। स्वदेशी चिप निर्माण और AI के नैतिक उपयोग में भारतीय नवाचारों ने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा। ​2. महत्वपूर्ण घटनाएँ: वैश्विक और राष्ट्रीय बदलाव ​पर्यावरण की चुनौती और समाधान: COP सम्मेलनों के बीच 2025 में रिन्यूएबल एनर्जी की ओर बढ़ते कदमों ने उम्मीद जगाई। भारत का 'ग्रीन हाइड्रोजन मिशन' अब कागजों से निकलकर सड़कों और उद्योगों में दिखने लगा है। ​खेल जगत की चमक: भारतीय युवाओं ने वैश्विक मंचों पर पदकों की झड़ी लगाकर यह बता दिया कि भारत अब एक 'मल्टी-स्पोर्ट्स नेशन' बन चुका है। ​3. उन महान हस्तियों को ...

​विदाई बेला: कर्तव्य पथ से सेवानिवृत्ति की ओर बढ़ते कदम !

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    ​दानापुर रेल मंडल में 46 रेलकर्मियों का सम्मानजनक विदाई समारोह ​जीवन का एक लंबा पड़ाव जब पूर्ण होता है, तो स्मृतियों का कारवां साथ चलता है। कुछ ऐसा ही दृश्य आज दानापुर मंडल रेल कार्यालय के सभागार में देखने को मिला, जहाँ दिसंबर 2025 में सेवानिवृत्त होने वाले 46 रेलकर्मियों के सम्मान में "समापक भुगतान एवं विदाई समारोह" का भव्य आयोजन किया गया। ​सम्मान और कृतज्ञता ​समारोह के मुख्य अतिथि, मंडल रेल प्रबंधक (DRM) श्री विनोद कुमार ने सभी सेवानिवृत्त कर्मचारियों को अंगवस्त्र और समापक भुगतान के दस्तावेज सौंपकर सम्मानित किया। उन्होंने कर्मचारियों के दशकों के परिश्रम और भारतीय रेल के प्रति उनके समर्पण की सराहना करते हुए उन्हें भावभीनी विदाई दी। ​कार्यक्रम की रूपरेखा वरीय मंडल कार्मिक अधिकारी श्री अतुल कुमार द्वारा प्रस्तुत की गई, जिन्होंने समापक भुगतान की प्रक्रिया और विवरण साझा किए। ​भविष्य के लिए अनमोल सुझाव ​मंडल रेल प्रबंधक ने अपने संबोधन में रेलकर्मियों के सुखद और समृद्ध भविष्य की कामना की। साथ ही, उन्होंने एक अत्यंत व्यावहारिक सलाह देते हुए कहा कि: ​"जीवन भर की इस जमा पूंजी...

​नवाब आलम: जहाँ कानून की संजीदगी और कला की संवेदना का मिलन होता है !-प्रो प्रसिद्ध कुमार।

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 जन्मदिन की बधाई !💐💐 ​बिहार की मिट्टी ने सदैव ऐसे मनीषियों को जन्म दिया है जिन्होंने समाज के अंतिम व्यक्ति की आवाज़ बनना अपना धर्म समझा। इसी कड़ी में एक दीप्तिमान नाम है—नवाब आलम। पेशे से अधिवक्ता, स्वभाव से कलाकार और आत्मा से एक सजग सामाजिक कार्यकर्ता; नवाब आलम जी का व्यक्तित्व किसी बहुआयामी इंद्रधनुष की तरह है, जिसका हर रंग समाज सेवा और लोक-कल्याण को समर्पित है। ​बहुआयामी व्यक्तित्व: एक संक्षिप्त परिचय ​पटना के खगौल की गलियों से शुरू हुआ उनका सफर आज पूरे बिहार के लिए एक मिसाल बन चुका है। स्नातक और पत्रकारिता की शिक्षा प्राप्त करने वाले नवाब साहब ने 1990 में जब दानापुर सिविल कोर्ट के गलियारों में कदम रखा, तो उनके हाथ में केवल कानून की किताबें नहीं थीं, बल्कि उनके दिल में गरीबों के प्रति अगाध संवेदना भी थी। आज भी वे उन असहाय लोगों के लिए आशा की किरण हैं, जिन्हें वे निःशुल्क न्यायिक सलाह देकर न्याय की दहलीज तक पहुँचाते हैं। ​कला और साहित्य के 'सूत्रधार' ​नवाब जी केवल कानून के ज्ञाता ही नहीं, बल्कि कला-संस्कृति के अनन्य उपासक भी हैं। नाट्य संस्था 'सूत्रधार' के संस्थापक म...

"श्रेष्ठ नागरिक, श्रेष्ठ राष्ट्र: सभ्यता की शुरुआत हमसे" !

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     ​हम अक्सर विदेशों की यात्रा करते हैं या टीवी पर विकसित देशों की झलक देखते हैं, तो वहां की साफ-सुथरी सड़कों, व्यवस्थित यातायात और सार्वजनिक अनुशासन की प्रशंसा करते नहीं थकते। लेकिन क्या हमने कभी सोचा है कि यह व्यवस्था किसी 'चमत्कार' से पैदा हुई है? नहीं, यह वहां के नागरिकों के उन छोटे-छोटे निर्णयों का परिणाम है, जिन्हें वे अपनी जीवनशैली का हिस्सा बना चुके हैं। ​व्यवस्था सरकारी नहीं, व्यक्तिगत है ​अक्सर हम गंदगी या अव्यवस्था के लिए प्रशासन को दोष देते हैं। निस्संदेह, सरकार की जिम्मेदारी व्यवस्था बनाए रखना है, लेकिन उस व्यवस्था को सफल बनाना नागरिकों के हाथ में है। एक विकसित समाज की पहचान वहां की भव्य इमारतों से नहीं, बल्कि वहां के नागरिकों के व्यवहार से होती है। ​परिवर्तन के तीन आधार स्तंभ सभ्यता तीन बुनियादी संकल्पों पर टिकी है: ​कचरा न फैलाना: "मेरा घर सा,सफ रहे, चाहे सड़क पर कचरा हो"—यह सोच ही अव्यवस्था की जड़ है। सार्वजनिक स्थान को अपना समझना ही सच्ची नागरिकता है। ​नियमों का पालन: रेड लाइट पर रुकना या कतार में खड़े होना किसी डर के कारण नहीं, बल्कि अनुशासन के प्र...

​आर्थिक प्रगति और वसुधैव कुटुम्बकम्: वैश्विक समृद्धि का नया मार्ग !

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     ​भारत-ओमान व्यापार समझौता: एक नई आर्थिक सुबह ! ​हाल ही में १८ दिसंबर को भारत और ओमान के बीच 'समग्र आर्थिक भागीदारी समझौता' (CEPA) हस्ताक्षरित हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ओमान के सुल्तान की उपस्थिति में वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल द्वारा किया गया यह समझौता दोनों देशों के संबंधों में एक मील का पत्थर है। ​इस समझौते की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि भारत के ९८ प्रतिशत निर्यात को ओमान के बाजार में शून्य शुल्क (Zero Duty) पर पहुंच मिलेगी। इससे भारतीय कपड़ा, रत्न-आभूषण, दवाइयां, वाहन, कृषि उत्पाद और चमड़ा उद्योग को अभूतपूर्व विस्तार मिलेगा। ​आर्थिक विकास और सामाजिक एकता का संबंध ​आर्थिक प्रगति कभी भी अलगाव में नहीं हो सकती। आज का वैश्विक युग आपसी निर्भरता का है। जब दो देश व्यापार करते हैं, तो केवल वस्तुओं का आदान-प्रदान नहीं होता, बल्कि संस्कृतियों और विचारधाराओं का मिलन भी होता है। ​रोजगार के अवसर: व्यापार बढ़ने से दोनों देशों में रोजगार सृजित होंगे, जिससे गरीबी कम होगी और सामाजिक स्थिरता आएगी। ​तकनीकी विनिमय: साझा व्यापार से नई तकनीकों का आदान-प्रदान होता है, जो अंततः मानव जी...

​रात की रोशनी: आपके दिल के लिए एक अदृश्य खतरा !

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   ​हालिया वैज्ञानिक शोधों ने एक चौंकाने वाला तथ्य सामने रखा है—रात के समय कृत्रिम प्रकाश (जैसे स्मार्टफोन, टीवी और तेज बल्ब) के संपर्क में रहना केवल आपकी नींद को ही प्रभावित नहीं करता, बल्कि आपके हृदय को गंभीर खतरे में डालता है। ​यह शरीर को कैसे प्रभावित करता है? (वैज्ञानिक कारण) ​हमारा शरीर एक प्राकृतिक सर्कैडियन रिदम  या 'जैविक घड़ी' के अनुसार काम करता है। रात के अंधेरे में, मस्तिष्क मेलाटोनिन  नामक हार्मोन जारी करता है, जो गहरी नींद और हृदय की मरम्मत के लिए आवश्यक है। ​हार्मोनल असंतुलन: रात में कृत्रिम रोशनी मेलाटोनिन के उत्पादन को रोक देती है। इसके अभाव में शरीर तनाव की स्थिति में रहता है। ​रक्तचाप और धड़कन: प्रकाश के संपर्क से रात के समय कोर्टिसोल का स्तर बढ़ जाता है, जिससे हृदय गति और रक्तचाप  में वृद्धि होती है। ​मेटाबॉलिक रिस्क: शोध बताते हैं कि जो लोग रात में अधिक रोशनी में रहते हैं, उनमें हृदय रोग का खतरा 56% तक बढ़ जाता है। ​प्रमुख चेतावनी संकेत ​रात में देर तक फोन या लैपटॉप का उपयोग करना। ​हल्की रोशनी या टीवी चलाकर सोने की आदत। ​खिड़की से आने वाली ब...

स्वीकृति की शक्ति: स्वयं से संसार की ओर एक सेतु !

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    ​१. आत्म-केंद्रितता का अंत और 'वस्तुनिष्ठ वास्तविकता' ​मनोवैज्ञानिक रूप से, हम अक्सर अपनी मान्यताओं, पूर्वाग्रहों और इच्छाओं के "बुलबुले" में जीते हैं। इसे संज्ञानात्मक पक्षपात कहा जाता है। 'वस्तुनिष्ठ वास्तविकता'  का सामना करने का अर्थ है उस बुलबुले को फोड़ना। जब हम यह स्वीकार करते हैं कि संसार हमारी अपेक्षाओं के अनुरूप नहीं चलता, तो हम मानसिक तनाव से मुक्त होकर सत्य के साथ जीना शुरू करते हैं। ​२. ब्रह्मांड और मानसिक विस्तार  "दिमाग के बाहर एक पूरा ब्रह्मांड मौजूद है," सामाजिक मनोविज्ञान के परिप्रेक्ष्य-ग्रहण  की क्षमता को दर्शाता है। एक परिपक्व व्यक्तित्व वही है जो यह समझ सके कि उसकी अपनी सोच अंतिम सत्य नहीं है। यह अहसास हमें 'अहंकार' से हटाकर 'अनुभव' की ओर ले जाता है। ​३. 'दूसरे की राय' का सामाजिक महत्व ​सामाजिक दृष्टिकोण से, दूसरों की राय को अपने बराबर महत्व देना समानुभूति और लोकतांत्रिक मूल्यों की नींव है। समाज में संघर्ष तब उत्पन्न होते हैं जब हम अपनी राय को श्रेष्ठ और दूसरों की राय को गौण मानते हैं। स्वीकृति हमें यह...