दानापुर में कार्यकर्ताओं को देवता की तरह पूजें!तभी होगी सिद्धि की योग।प्रसिद्ध यादव के साथ शेयर करें।



 दानापुर में भितरघात से ही जीतते हैं विरोधी!

दानापुर के चुनाव परिणाम पर गौर करें तब स्पष्ट दिखाई पड़ती है की यहाँ की जीत विपक्ष में भितरघात से होती है।बात 1977 की है जब देश में जेपी आंदोलन चरम पर था।कोंग्रेस नेता रामलखन सिंह यादव दानापुर चुनाव लड़े थे।अपने साथ हजारों आदमियों को उतार दिए थे,दिनरात भंडारा होता,फिर भी प्रतिद्वंद्वी सुखसागर सिंह पसीना छुड़ाए हुए थे,लेकिन बीच में छबीला की इंट्री से यादव जीत गए।इसमें अनेक लोगों को नॉकरी मिली थी,जो आज भी जे एन एल कॉलेज में,पी डब्ल्यू डी में  कर्मचारी हैं।1985 में बिजेंद्र गोप निर्दलीय कोंग्रेस के पृथ्वीराज को पराजित किये थे,बुद्धदेव सिंह की सहानुभूति गोप के साथ थी।2010 में निर्दलीय रीतलाल यादव जीत के मुकाम तक पहुंच गए थे ,वोटकटवा राजद के सचिदानंद साबित हुए,भाजपा जीत गयी।यही हाल 2015 में हुआ और राजद के राजकिशोर यादव करीब 5 हजार वोट से हार गए और भाजपा जीत गयी।इस बार राजद में कोई वोटकटवा नही है,लेकिन भाजपा में भितरघात कितना होता है,कोई नही बता सकता है।दोनों दल मजबूती से डटे रहेंगे तब मुकाबला नेट टू नेट होगा और अंत समय मे कौन जीत जाये कहना मुश्किल है।

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