इतना डर भी ठीक नहीं! प्रसिद्ध यादव के साथ शेयर करें।




 जबरदस्ती के बोझ, नहीं ढोया जाता !

राजद अपनी परम्परागत सीटें कर रही कुर्बान!
बाबूचक,  फुलवारी ।
 कौन है  षड्यन्त्रकारी?
सौतन के भरोसे सुहागिन,कहीं डस न ले नागिन!
कार्यकर्ता कोमा में,चाटुकारों की चांदी!
अभी बिहार में नीतीश सरकार के खिलाफ जनाक्रोश चरम पर है,लेकिन विपक्ष इसे अपनी झोली में कैसे ले?ये अहम सवाल है।राजद अपनी जनाधार और सिटींग सीटें गठबंधन के खाते में डालकर क्या हासिल करेगी,ये तो राजद के नीति नियन्ता और प्रवर बुद्धिजीवी ही बता सकते हैं।धूप छांव में दिन रात लालटेन ढोने वाले कर्मठ कार्यकर्ता  को राजनीति की समझ कुछ नही है,भले ही ये जमीन पर ही क्यों नही हो? राजद की 80 जीती हुई सीट है और इससे पूर्व कुछ अन्य सीटों पर लगातार जीतती रही है।अब जीती हुई और परम्परागत सीटें सहयोगी को देकर हारी हुई सीटें लेकर कौन चमत्कार करेगी ये शीर्ष नेतृत्व जानें,लेकिन इतनी भी क्या मजबूरी है?क्या राजद 80 से कम सीटों पर चुनाव लड़ेगी?नहीं!ये 125 सीटों से अधिक पर है।किसके भरोसे ?कार्यकर्ताओं के!कार्यकर्ता कहाँ है?किस हाल में है?क्या सोचता है?उसकी इच्छा,उसकी जानकारी का उपयोग राजद कितना करती है?ये और पार्टी नही है की कार्यकर्ताओं के साथ मैराथन दौड़ की बैठक करे।केवल फरमान ऊपर से जारी होगा और काम पक्का।ये शीर्ष नेतृत्व मुग़लते  में है।कार्यकर्ता अपनी मान-सम्मान की लड़ाई दुश्मनों से लड़ना जनता है तब घर में भी जो इसपर कुठाराघात करे।कार्यकर्ता विधायक, सांसद, सरकार बनाता है न की टोपी वाले।सलाह किससे लेनी चाहिए?जिस पार्टी में कार्यकर्ताओं की फीडबैक से टिकट मिलेगा ,उसकी जीत शत प्रतिशत, और जिसकी बन्द कमरे से उसके मालिक भगवान ही हैं।
प्रसिद्ध यादव।

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