महंगाई मार गयी,बाकी जो कुछ बची वो वेवफाई मार गयी।प्रसिद्ध यादव।

 बढ़ती महंगाई  से जनता कितनी परेशान



है? यह दर्द सरकार क्यों नही समझ रही है?  मात्र दो साल पहले का मूल्य स्तर को देखें तब वस्तुओं के मूल्यों में कितनी बढ़ोतरी हुई है।पेट्रोल, डीजल,एलजीपी गैस की कीमतों में महीने में कितनी बार बढ़ती है और क्यों बढ़ रही है?कोई जवाब देने वाला नही है? आमजन की आय महंगाई के मुकाबले बढ़ रही है क्या? अगर नही बढ़ रही है तब निश्चित रूप से लोगों की क्रयशक्ति घट रही है।लोकलुभावन वादों से मन खुश हो सकता है,पेट नहीं भर सकते हैं।आत्मनिर्भर भारत,किसानों की आय दुगनी,रोजगार गारंटी योजना, ओडीएफ ,मनरेगा, जल जीवन हरियाली, जल नल योजना आदि पर अरबों रुपये खर्च हुए,लेकिन कितनी खामियां हैं इन योजनाओं में कोई देखने वाला नही है। आखिर महंगाई क्यों बढ़ रही है? क्या आपूर्ति कम है और मांग बढ़ गयी? अर्थशास्त्र के सारे नियम यहाँ उल्टा हो गया है।आपूर्ति है,मांग भी है,महंगाई भी है,मुद्रा के मूल्यों में कमी भी है,देश आत्मनिर्भर भी हो रहा है,लेकिन यहां की जनता परेशान है।अपार बहुमत का मतलब किसी की सुनना नही होता है।लोकतंत्र की खूबसूरती विपक्ष, जनता को विश्वास में लेकर सरकार चलाना।

प्रसिद्ध यादव।

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