लाखो " नाटक की समीक्षा - प्रसिद्ध यादव। स्त्री उत्पीड़न की दिखी कहानी
सूत्रधार के महासचिव नवाब आलम ने किया निर्देशन
लेखक - मधुकर सिंह, म्यूजिक- दीपक कुमार, गायन- आदित्य राज , प्रकाश- नीरज कुमार ,सेट डिजाईन शशि भूषण कुमार
मंच सामग्री रत्नेश कुमार
कलाकार- तनु कुमारी लाखो ,बिसरा दीपक कुमार ,बटोही शशि भूषण कुमार ,रामलला रत्नेश कुमार ,लाखन सनी कुमार ,माखन आदित्य कुमार ,मौसी निशा कुमारी ,भगत निशान्त कुमार ,बालेश्वर छोटू कुमार ,कुछ ग्रमीण हिमांशु राज ,राजा कुमार, हर्ष कुमार।
एकजुट द्वारा खगोल नाट्य महोत्सव 2021 में त्रिदिवसीय नाटक के दूसरे दिन 28 फरवरी रविवार को ए बी निकेतन स्कूल ,खगोल में नारी शक्ति को दिखाती नाटक लाखो का मंचन हुआ।
देश में महिलाओं पर हो रहा अत्याचार आखिर कब रुकेगा? कब तक महिलाएं पुरुषों की हवस का शिकार होती रहेंगी? स्त्रियों के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार कब रुकेगा? कुछ इन्हीं सवालों को नवाब आलम निर्देशित सहायक नीरज कुमार द्वारा इस नाटक में स्त्री उत्पीड़न की कहानी को दिखाया गया। नाटक कहता है कि समाज में स्त्रियों पर हो रहे अपराधों को रोकना है तो आमलोगों को अपनी चुप्पी तोड़ कर अपराधी तत्वों के खिलाफ आवाज बुलंद करनी होगी। नाटक कहता है कि औरतें मर्दों के हाथ की कठपुतली नहीं हैं। पुरुषों को औरतों के प्रति अपनी सोच बदलने की जरूरत है। यह थी कहानी-
नाटककी कहानी जमींदार रामलला, लाखो और बिसरा के इर्द-गिर्द घूमती है। इसमें जमींदार रामलला एक जालिम जमींदार है। वह गांव की महिलाओं को अपनी हवस का शिकार बनाकर मौत के घाट उतार देने के लिए बदनाम है। उसके घर में नौकरानी का काम करने वाली लाखो, जो रामलला की स्वजातीय भी है, मल्लाह जाति के युवक बिसरा से प्रेम करती है। इधर रामलला की बुरी नीयत लाखो पर है। उसे लाखो और बिसरा का प्रेम पसंद नहीं है। रामलला इससे गुस्सा होकर बिसरा की हत्या करवा देता है। बिसरा की मौत से लाखो दुखी रहने लगती है। एक साधु लाखो को इस अत्याचारी रामलला के खिलाफ विद्रोह करने के लिए कहता हैं। लाखो गांव वालों को इकट्ठा कर रामल रामलला जैसे दुराचारी, पापी का वध को वध कर देती है। तनु कुमारी की अभिनय लाखो के रूप में और रामलला की भूमिका में रत्नेश कुमार दर्शकों को तालियाँ बजाने के लिये मजबूर कर दिया।सूत्रधार खगोल कीप्रस्तुति काबिले तारीफ़ रही। -प्रसिद्ध यादव।
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