नाटक बिदेसिया में पलायन के दर्द और पति की बेवफाई।- प्रसिद्ध यादव की समीक्षा पढें
नाटक बिदेसिया में पलायन के दर्द और पति की बेवफाई।-
प्रसिद्ध यादव द्वारा समीक्षा।
बिहार से रोजगार के लिए होने वाला पलायन लंबे समय से जारी है। जब देश आजाद नहीं हुआ था तब भी और आजादी के बाद भी यह समस्या जस की तस बनी हुई है। इस पलायन की समस्या के पीछे समाज की एक बड़ी त्रासदी की दास्तान होती है। एक तरफ रोजी रोजगार की तलाश में बाहर जाने वालों का दर्द होता है तो दूसरी ओर गांव-घर में रह गए उनके परिजनों की अपनी अलग ही पीड़ा होती है।
गरीबी से मुक्ति की आशा होती तो शायद ही कोई अपनों से दूर अनजाने शहर में जाता। बिहार की इस समस्या को ही भोजपुरी के शेक्सपीयर कहे जाने वाले भिखारी ठाकुर ने अपने नाटकों में उठाया है। पलायन की समस्या पर लिखे गए उनके मशहूर नाटक बिदेसिया का सोमवार को सूत्रधार खगोल द्वारा मंचन हुआ। यहां चल रहे खगोल विरासत नाट्य महोत्सव -2021 के दूसरे दिन रेल सेकेंडरी स्कूल खगोल में मंचन हुआ। उदय कुमार निर्देशित इस नाटक में बड़ी खूबसूरती से ,एक नए अंदाज में भिखारी के बिदेसिया को मंच पर कलाकारों ने जीवंत बना दिया। नाटक में एक ओर जहां पलायन दिखाया गया वहीं पति के द्वारा की गई बेवफाई को भी दिखाया गया।
नाटक का नायक बिदेसी रोजी-रोजगार के लिए अपनी नवविवाहिता पत्नी प्यारी सुंदरी को गांव में ही छोड़कर कलकत्ता चला जाता है ताकि परिवार की गरीबी को दूर कर सके। वहां जाकर उसका एक अन्य औरत से दिल मिल जाता है और उससे दो बच्चों का जन्म होता है। बिदेसी कलकत्ता में ही गांव को भूल कर रहने लगता है। इधर पत्नी प्यारी सुंदरी पति के लौटने का इंतजार करती है और बेहद गरीबी में जीवन जैसे-तैसे चलाती है। इसी क्रम में एक दिन बटोही नाम के व्यक्ति को अपनी व्यथा सुनाती है। इसे सुन बटोही बिदेसी को ढूंढने कलकत्ता जाता है और उसे लेकर वापस आता है। पत्नी खुश हो जाती है लेकिन इसी बीच कुछ दिनों बाद दूसरी औरत भी धमकती है। अब बिदेसी की सारी पोल खुल जाती है लेकिन उसकी पत्नी प्यारी सुंदरी बड़प्पन दिखाते हुए उसे भी अपने साथ रखने के लिए तैयार हो जाती है।
भिखारी ठाकुर के कर्णप्रिय गीत पर दर्शक झूम उठे।
कलाकारों में सूत्रधार1 अनिल सिंह,सूत्रधार 2 भरत आर्य ,विदेशी अम्बुज कुमार ,धनिया साधन श्रीवास्तव, सुंदरी पल्लवी प्रियदर्शिनी, बटोही विरेन्द्र ओझा,ढबढब परमानंद प्रेमी,दोस्त भरत आर्य,देवर शत्रुध्न कुमार,चितकबरा सुमन कुमार,संगीत परमानंद प्रेमी,कुमार नरेंद्र,नालवादक कमलेश पासवान,सुमन कुमार।
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