श्री राम के गुणों को आत्मसात कर जीवन धन्य करें। प्रसिद्ध यादव।


 जय श्री राम! रामजन्म उत्सव पर बधाई। तु अंतर्यामी, सबके स्वामी

तेरे चरणों में है चारो धाम। हे राम! ❤ 




मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीरामचंद्र जी के आदर्शों पर चलना और इनके गुणों को धारण करना भी भक्ति है।  ये एक आदर्श पुत्र, आदर्श भाई, राजा, स्वामी, मित्र, , वीर धीर थे। सुग्रीव और निषाद से इनकी मित्रता अनुकरणीय है। गोस्वामी तुलसीदास जी लिखा है -

जे न मित्र दुःख होहिं दुखारी। 

तिन्हहि बिलोकत् पातक भारी। 

निज दुख गिरि सम रज करि जाना। 

मित्रक् दुख रज मेरु सामना। 

दरिद्रता जैसी दुख दुनिया में कोई नही और संतों की संगति जैसा कुछ सुख नही है। 

नहीं दरिद्र सम दुख जग माही। 

संत मिलन सम सुख जग नाहीं। 

जन्मभूमि की महत्ता को बताया है कि

जननी जन्मभूमिश्च  स्वर्गदपि गरियासि। 

श्री राम का अवतरण दुखों को हरण के लिए हुआ था। 

राजीव नयन धरें धनु सायक्। 

भगत विपति भंजन सुख दायक। 

दैहिक दैविक भौतिक तापा। 

राम राज महि काहुहि व्यापा। 

कोल भील और शबरी से प्रेम तथा गिद्ध जटायु की अंतिम संस्कार अपने पिता की तरह किये थे। हनुमान और वानरों से ऋणी रहने की बात भरत से कहते हैं। लंका विजयी के बाद विभिष्ण को गद्दी देकर राजनीति की सुचिता स्थापित किया, लेकिन शंबुक् की हत्या विचलित कर देता है। 

प्रसिद्ध यादव। 

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