सत्य से सक्षत्कार! प्रसिद्ध यादव।
ये खुद से होती है, लेकिन बताये नही जाते। किसी के भी जीवन में घटित होने वाली घटनाएं सत्य है, उसके वजह भी हैं, उसके कर्ता, कारक खुद होते हैं और परिणाम भी खुद भुगतते हैं। सत्य की अच्छी पहलू को दुनिया के सामने रख देते हैं, लेकिन बुरे घटित घटनाओं को नही रखते। उसके कारण भी है, व्यक्तित्व पर असर पड़ जाता है। कुछ गलतियां अंजाने में हो जाती है, कुछ जांबुझकर्, कुछ दबुपन के कारण। मेरा अनुभव कहता है की इंसान सबसे ज्यादा परेशान अपनों से है, अन्य कोई ज्यादा नुक्सान नही पहुंचा सकता है, लेकिन लड़ते हैं दूसरों से, धर्म, जाति, वर्ग, लिंग के आधार पर। रामचरित और महाभारत के पात्र आपको अपनों में मिल जायेंगे, जरूरत है ढूँढने की। मैं हनुमान, कैकेयी, दुर्योधन, दुःसासन्, युधिष्ठिर, कृष्ण राम, लक्ष्मण, भरत, श्री राम के भी रूप को देखा। निषाद, बाली, सुग्रीव, अंगद, रावण को भी देखा, लेकिन उक्त पात्रों में मैं क्या हूँ? अगर कोई बता दे तब सत्य का सही सक्षात्कर हो जाए।
प्र्संवश याद आ गयी बस।
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