नाम बड़े और दर्शन खोटे! दुनिया के बड़ा अस्प्ताल पीेएमसीएच! प्रसिद्ध यादव।
सरकार अभी अंधी दौड़ लगा रही है, दुनिया के सबसे बड़ा अस्प्ताल, मूर्ति, स्टेडियम, मंदिर, मेला और न जाने क्या क्या की सनक लगी हुई है। आम आदमी का हाल क्या है? आम आदमी ही जान रहा है। कोरोना की क्या तैयारी है? ये बताने की जरूरत नहीं है। आम आदमी को लोग जागरूक कर रहे हैं, अच्छी बात है, लेकिन सरकार को कौन जागरूक करे? अस्प्ताल मौत की कुआँ बन गयी है। अगर सरकार पहले से सतर्क होती तब कम से कम ऑक्सीजं के बिना लोग काल कल्वित् नही होते। सरकार दो महीने से चुनाव में व्यस्त थी, जब हालत खराब हुई तब नींद टूटी है, लेकिन जिसकी साँसे उखड़ गयी, उसके परिवार की हालत क्या है? 5 किलो राशन के बदले समुचित व्यवस्था की होती तब आज सरकार की संवेदना समझ आती। सारा देश जीत लो जश्न मनाओ, लेकिन जनता की लाश पर नहीं, अपनी नाकामियों पर। विगत वर्षों अस्पतालों के उपर हेलिकोप्टर से करोड़ो के फूल बरसाये गये थे, मानो कोरोना के विश्व विजेता बन गए। आज स्थिति क्या है, जो मन आये करो, कौन मना करने वाला है, अपार जो बहुमत मिला है , सहेज कर नही रख रही है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को तल्ख टिपणी किया है की कोर्ट मुदर्शक् नही बनी रहेगी। यही नहीं सरकार से जवाब भी मांगा है - राज्यों को वैक्सिन् और ऑक्सीजं के लिए मॉडल क्या है? जरूरत और आपूर्ति पर निगरानी रखने के लिए क्या व्यवस्था है? ऑक्सीजं की अनुमानित जरूरत कितनी hai और क्या कदम उठाये गए हैं? कोरोना के इलाइज के संसाधन और सुविधा बढ़ाने के क्या उपाय है? आशा है सरकार जरूर समुचित जवाब देगी और जान माल की सुरक्षा पर अग्रसर होगी।
प्रसिद्ध यादव।
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