सरकार की अदुर्दर्शिता एवम ढोंग से हुआ कोरोना का फैलाव! प्रसिद्ध यादव।

 


लाख दलील दे दे केंद्र सरकार, लेकिन विगत एक साल से सरकार की उपलब्धियों को देखें तब यही लगता है की सरकार कोरोना से लड़ने की पूरी व्यवस्था नही कर पाई थी। हालांकि युद्ध स्तर पर वैक्सिन्   बनाई, लेकिन कोरोना के दूसरे लहर की अंदाज नही थी, अगर अनुमान थी तब माकुल व्यवस्था क्यों नहीं? ऑक्सीजं के अभाव, अस्प्ताल, बेड, दवा, डॉ, नर्स आदि के अभाव में हजारों लोग दम तोड़ दिये। क्या यह सिस्टम में दोष नही है? एक तरफ दो गज दूरी और मास्क पहनने की सलाह दी जा रही है, चुनाव हो रहे हैं, स्नान हो रहे हैं, दूसरी तरफ नेता मंत्री खुद बिना मास्क के लाखों की भीड़ इकट्ठा कर चुनाव में भाषणवाजी हो रही है। यह कैसा आचरण है? कोरोना जाँच रिपोर्ट  मिलने में 4 - 5 दिन लग जाते हैं, तब तक रोगी की हालत खराब हो जा रही है। अब ट्रेन से ऑक्सीजं की ढुलाई हो रही है, यानी आग लगने पर कुंएं की खुदाई। इस बार लॉक डाउन की जिम्मेवारी राज्यों को दी गयी है और इसे अंतिम विकल्प बताया गया है, लेकिन विगत साल मात्र 13 लोग कोरोना से मरे थे और पूरे देश में लक्ष्मण रेखा खीच दी गयी थी, संपूर्ण लॉक डाउन। सरकार की पागलपन से हजारों निर्दोष मारे गए थे,  सरकार सबक ली,  लेकिन अफ़सोस जाहिर नही की। यही नही  पीएम ने  आडम्बर, ढोंग की तरह दिया जलवाया, थाली पिटवाई, और 21 दिन में महाभारत की तरह कोरोना से जीत की दावे कर लोगों को निश्चिंत करवा दिया। बड़े बड़े स्टेडियम, मूर्ति, स्थानों के नामकरण खूब हुए, लेकिन कोरोना की दूसरी लहर से या तो सरकार अभिज्ञ रही या इसकी प्राथमिकता में यह नही थी, केवल वैक्सिन् को छोड़कर। यह संक्रमण एक सीख दे रही है की ढोंग, आडम्बर, झूठ से सतर्क रहें और खुद ही अपनी जान की परवाह करें। 

प्रसिद्ध यादव। 

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