दीदीजी फाउंडेशन ने ग्लोबल कायस्थ कॉन्फ्रेंस के लीगल सेल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष स्वर्गीय ललितेंद्र स्वरूप को दी श्रद्धांजलि। प्रसिद्ध यादव
पटना, दीदीजी फाउंडेशन ने जगजीवन नगर चितकोहरा गर्ल्स हाई स्कूल के पास नट और गुलगुलिया लोगों के बीच मास्क और भोजन सामग्री बांटकर ग्लोबल कायस्थ कॉन्फ्रेंस के लीगल सेल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष स्वर्गीय ललितेंद्र स्वरूप श्रद्धांजलि दी है।
ग्लोबल कायस्थ कॉन्फ्रेंस के लीगल सेल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष स्वर्गीय ललितेंद्र स्वरूप जी के कोरोना महामारी से निधन के बाद गरीबों के बीच मास्क और भोजन बांट कर श्रद्धांजलि दी गई। ग्लोबल कायस्थ कॉन्फ्रेंस बिहार की अध्यक्ष एवं दीदी जी फाउंडेशन की संस्थापिका और समाजसेवी शिक्षिका डॉ नम्रता आनंद ने नट और गुलगुलिया जाति के बच्चों महिलाओं और पुरुषों के बीच कोरोना जागरुकता अभियान चलाया। 200 जरूरतमंद लोगों का हाथ सेनीटाइज कराकर दीदी जी फाउंडेशन के सदस्यों राजू कुमार, जाहिदा नसर, छोटी कुमारी, नीतू कुमारी ,रंजीत ठाकुर,शिखा स्वरूप, ने सभी को कोरोना काल का जीवन रक्षक मास्क दिया। डाक्टर नम्रता ने सभी लोगों को कोरोना वायरस के लिए वैक्सीनेशन करवाने को जागरूक किया, सोशल डिस्टेंस बनाकर रहने को कहा, मास्क पहनना कितना जरूरी है, यह समझाया, बच्चों को मुख्य रूप से समझाया दिन भर में 4 -5 बार हाथ साबुन से अच्छे से धोना है,और लोगों को घर में नीम सैनिटाइजर बनाने की विधि बताई।
डॉक्टर नम्रता आनंद ने स्वर्गीय ललितेंद्र स्वरूप की धर्मपत्नी सुभाषिनी स्वरूप जी को एवं उनके पुत्र को धन्यवाद दिया जिन्होंने गरीबों के भोजन के लिए 200 पैकेट भोजन दीदी जी फाउंडेशन को बांटने के लिए दिया। उन्होंने कहा कि सुभाषिनी जी एक बहादुर महिला है, जिन्होंने स्वयं कोरोना से लड़ते हुए अपने पति की देखरेख में कोई कसर नहीं छोड़ी। ईश्वर का धन्यवाद है कि आज ग्लोबल कायस्थ कॉन्फ्रेंस के सदस्य सुभाषिनी जी ने कोरोना पर विजय पाई और कोरोना निगेटिव हो गई। डॉ नम्रता ने कहा समाज के सक्षम वर्ग मानवता को जिंदा रखते हुऐ गरीबों,जरूरतमंदों दिव्यांगों ,किन्नरों, बुजुर्गों के बीच इस कठिन महामारी के संकट भरे दौर में आगे आए और एक शाम गरीबों के भोजन के नाम सोचकर दीदी जी फाउंडेशन का साथ दें और पुण्य के भागी बने। यह समय है एक दूसरे के लिए सोचने का, एक दूसरे पर भरोसा करने का और एक दूसरे की जरूरतों को पूरा करने का। कोरोना से लड़ना है, उसे हराना है, और फिर से खुशहाल जिंदगी जीना है। अपने आत्मबल को मजबूत रखते हुए एक दूसरे की मदद को आगे आना है।
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