कभी आर्यभट्ट नगरी में ज्ञान की गंगा बहती थी, आज सड़ान्ध ही सड़ान्ध। प्रसिद्ध यादव
पांचवी सदी में बिहार के कुसुमपुर के खगोल में ज्ञान की गंगा बहती थी। पृथ्वी की क्षेत्रफल , पृथ्वी अपनी अक्ष पर घूमती है, सूर्यग्रहण, चंद्रग्रहण में कोई राहू केतु का प्रभाव नही बल्कि पृथ्वी की छाया पडने से होता है, पृथ्वी की दैनिक गति और वार्षिक गति का सही समय बताने वाले आर्यभट्ट की नगरी न कोई शोध की स्थल बन पाई न पर्यटन स्थल, न कोई इनके वेधशाला को खोजने की जरूरत समझा। महान ग्रंथ आर्यभटीय की रचना बड़ी खगोल चकरदाह पर ही किये थे। इसके आसपास के अनेक गांवों के नाम संख्या पर है, जो खोज का विषय है। जैसे - सगुना अर्थात सौ गुना, लखनी बीघा, लाख, करोड़ी चक , करोड़, बदलपुरा, बादल आदि।भारत को इनके ही जीवन काल में स्वर्णिम युग कहा जाता है। पाई, दशमलव, शून्य ,बीजगणित, ज्योतिष शास्त्र से लेकर अनेकअनमोल ज्ञान के खजाने दुनिया को दिया, चाणक्य भी अपनी तपोभूमि यही बना।गांधी जी भी शिक्षा की ज्योति अपने हाथों से आकर जलाये, सुभाष चंद्र बोस क्रांतिकारी बैठक कच्ची तालाब पर किये थे, मुस्तफापुर में ज्ञान कुल आश्रम बने थे। खगोल की ज़र्रे जर्रे में इतिहास छुपा है, हर खंडहर, टीले, नदी में अपनी ज्ञान की सभ्यता समेटे हुई है, कोई पढ़ने वाले नही है, ना कोई रुचि लेने वाले, पूर्ण रूपेण उपेक्षित और तिरस्कृत है। किसकी नजर लग गयी है? तारेगना सूर्य मंदिर से भी ग्रहों की गणना करते थे।यह जगह मसौढ़ी बिहार सरकार के संज्ञान में आया था, लेकिन खगोल गोल रहा। दानापुर रेल रेलवे स्टेशन के परिसर में आर्यभट्ट की आदमकद प्रतिमा लगाकर खगोल का गौरव, मान सम्मान जरूर बढ़ाई है। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में भी आर्यभट्ट की प्रतिमा लगी हुई है । पटना में आर्यभट्ट यूनिवर्सिटी बना हैखगोल में आर्यभट्ट के नाम पर निजी विद्यालय, कॉलोनी, पोर्टल चैनल बने हैं, लेकिन आर्यभट्ट को जानने और समझने के लिए नाकाफ़ी है।आर्यभट्ट कॉलोनी का हाल तो इतना बुरा है की लगता है कि पानी में घर तैर रहे हैं, जलकुंभी और सड़ान्ध भरे पानी में मानो यहां के लोग आर्यभट्ट के सूत्र ढूंढ रहे हैं। जब दुनिया के महान गणितज्ञ, ज्योतिष शास्त्री की ज्ञान की भूमि उपेक्षित है तब यहां के लोगों की उपेक्षित और नारकीय जीवन कोई आश्चर्य नहीं करता है।
यहां के लोगों की नियति बन गई है घुट घुट कर मरने की
ReplyDeleteमान्यता है कि जब हम अतीत का सम्मान करना भूल जाते हैं तो भविष्य का निर्माण मुश्किल हो जाता है