गांवों की शौचालयों की घोटाला! चौकीदारों जवाब दो!प्रसिद्ध यादव।

 

            


मैनपुर अंडा और रामपुर फरीदपुर घोटाले में अव्वल!
   पटना जिला के कोई ऐसा पंचायत नही बचा होगा, जहां शौचालय का पैसा  गबन न हुआ हो ।  फुलवारी शरीफ प्रखंड के मैनपुर अंडा पंचायत और रामपुर फरीदपुर पंचायत के लाभुकों की सूची देखा तब हैरान रह गया।रामपुर फरीदपुर  अनुसूचित जाति और पिछड़े वर्ग के लोगों के नाम पर  शौचालय निर्माण के 12 हजार रुपए दो किस्तों में निकासी हो गयी, लेकिन न लाभुक को पता चला न निर्माण हुआ। यही हाल  मैनपुर अंडा के बाबुचक, अंडा पकोली का है यहाँ भी लोगों के नाम पर निकासी कर ली गयी।जब पंचायतों को ओडीएफ घोषित किया जा रहा था तब मैं विरोध किया, लेकिन सरकारी डेटा में शौचालय निर्माण किया जा चुका था। धरातल पर कुछ नहीं केवल लूट हुई।साल 2013 में तय किया था कि शौचालय निर्माण का पैसा किसी एजेंसी के माध्यम से  लाभुकों को नहीं दिया जायेगा. इसके बावजूद पीएचईडी के तत्कालीन कार्यपालक अभियंता विनय कुमार सिन्हा और एकाउंटेंट बिटेश्वर प्रसाद सिंह ने वर्ष 2012-13, 2013-14 और 2014-15 में पटना जिले के विभिन्न प्रखंडों में बनने वाले 10 हजार से अधिक शौचालयों का पैसा (13.66 करोड़) मई, 2016 में सीधे एजेंसी को दे दिया.

उस वक्त आनन-फानन में तीन एजेंसियों सहित कई लोगों के विभिन्न खातों में 200 से अधिक चेक काट कर डाल दिया गया. यह गबन उस वक्त किया गया, जब पीएचईडी से शौचालय निर्माण का खाता डीआरडीए में ट्रांसफर होने वाला था.

कैसे हुआ खुलासा?

पटना के डीएम संजय कुमार अग्रवाल की जांच में यह बात सामने आई है. मामले के दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवा दी गई है और अभी भी जांच जारी है. जानकारी  के मुताबिक अभी शौचालय निर्माण एजेंसी से जुड़े खातों को खंगाला जा रहा  है.

इससे जुड़े और इसके माध्यम से कितने पैसे किसको ट्रांसफर किये गये,  इसकी लगातार जांच हो रही है. जिस एजेंसी व एनजीओ को शौचालय निर्माण के लिए  पैसे का भुगतान किया गया है, इसका कहीं कोई प्रूफ नहीं मिला है. इसके  अलावा पीएचईडी में भी इन एजेंसियों से  संबंधित कोई कागजात भी नहीं है.  बताया गया कि पैसों की रिकवरी के लिए आरोपितों के मकान, जमीन व अन्य  संपत्ति जब्त की जायेगी. कैसे सरकार पंचायत, प्रखंड और जिला को ओडीएफ मुक्त  करेगी? क्या इसमें केवल  एनजीओ और सरकारी लोग शामिल हैं। पंचायत के प्रतिनिधि का मिलीभगत नही है।अगर नही है तब यहां के प्रतिनिधि क्या कर रहे थे? कितने प्रतिनिधि ने इस भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई? अगर नहीं तो कोई नैतिक जिम्मेवारी नही है ऐसे लोगों को दोबारा चुनाव लड़ने का। अगर लड़ भी जाये तब इनकी सुधि अवश्य लें।

चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी चोला पहनकर केवल वोट मत मांगो, जनता की रक्षा के समय कहाँ थे?

अध्यक्ष

ओबीसी महासभा, पटना।

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