कमजोर वर्ग के साथ भेदभाव क्यों? प्रसिद्ध यादव।
ब्राह्मणवादी जानता है कि धर्म के नाम पर कमजोर वर्ग पागल हो जाएगा।
आज जातीय जनगणना की मांग पर ज्ञानियों द्वारा ऐसे ऐसे कुतर्क दिए जा रहे हैं, मानो ब्रह्मांड के सर्वज्ञ हैं।अभी हाल ही में यूपीएससी के परिणाम और कटऑफ जारी हुए।टॉपर शुभम को साक्षात्कार में दो सौ से कम अंक दिया गया, जबकि लिखित में सबसे ज्यादा था, क्योंकि वे पिछड़े वर्ग के थे जबकि इससे कम अंक लाने वाले सामान्य वर्ग को 200 से अधिक अंक साक्षात्कार में दिया गया। यही हाल एससी , एसटी, पिछड़े वर्गों के अभ्यर्थियों के साथ हुआ अधिकतर को 200 से कम साक्षात्कार में अंक दिया गया और सामान्य वर्ग को 200 अंको से अधिक।लिखित और साक्षात्कार के अंक जोड़कर मेधा सूची बनाई जाती है।साक्षात्कार मण्डल में कौन लोग हैं? इन बेईमानों का प्रयास होता है कि कमजोर वर्ग के लोगों को साक्षात्कार में कम कम से कम अंक दें तक मेधा सूची से बाहर हो जाएं या सूची में आये भी तो आरक्षण कोटे से और निम्न पदों पर नियुक्ति हो। इसका सीधा फायदा सामान्य वर्ग को हो। गरीब स्वर्ण और पिछड़े वर्ग के कटऑफ मार्क देखें तब पिछड़े से कम हैं।अगर कमजोर वर्ग को साक्षात्कार में 200 से अधिक अंक मिला होता तब आज आधे सीटों से अधिक कमजोर वर्ग के अभ्यर्थी काबिज होते और इस सेवा से वंचित करीब 300 अभ्यर्थी सफल होते। कैसे जड़ों को ब्राह्मणवादी व्यवस्था काट रही है , लोगों को समझ नही आ रही है। कब समझोगे? भाजपा और कांग्रेस दोनों ब्राह्मणवादी व्यवस्था के पोषक हैं।वोट हमारा राज तुम्हारा, नहीं चलेगा।जिस दिन भारत के मूलनिवासी अपनी ताकत को समझ जाएंगे उस दिन यूरेशियाई डीएनए को बाहर के रास्ता दिखा देंगे। हम शासक होंगे, हम नॉकरी लेने वाले नहीं देने वाले होंगे।क्या यह लोकतंत्र के लिए ठीक है? धर्म के नाम पर नाच करना बंद करें और भविष्य के पीढ़ियों के बारे में सजग हों, अन्यथा आने वाली पीढ़ी आप पर थूकेगी की अधिकार हनन हो रहा था और ब्राह्मणवादी व्यवस्था को मजबूत कर अपने पैरों में कुल्हाड़ी मार रहा था।
जय मूलनिवासी!
अध्यक्ष, ओबीसी महासभा
पटना।
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